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160 वें मर्यादा महोत्सव का तृतीय दिवस
160 वें मर्यादा महोत्सव का द्वितीय दिवस
160 वें मर्यादा महोत्सव का प्रथम दिन
जैन जयतु शासनम्’ कार्यक्रम में जैन धर्म के दो आचार्यों का आध्यात्मिक मिलन
तत्त्ववेत्ता, अध्यात्मवेत्ता व विधिवेत्ता थे श्रीमज्जयाचार्य : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
धर्म के आधार स्तम्भ हैं आत्मवाद व कर्मवाद : अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमण
न्याय और नीति से कमाया धन होता है शुद्ध : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
अधार्मिक का सोना और धार्मिक का जगना अच्छा : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
अपनी आत्मा को पापों के भार से बचाने का प्रयास कर सकते हैं - शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
मोहनीय कर्म की तीव्रता से बचने का हो प्रयास : महातपस्वी महाश्रमण