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तत्त्ववेत्ता, अध्यात्मवेत्ता व विधिवेत्ता थे श्रीमज्जयाचार्य : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
धर्म के आधार स्तम्भ हैं आत्मवाद व कर्मवाद : अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमण
न्याय और नीति से कमाया धन होता है शुद्ध : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
अधार्मिक का सोना और धार्मिक का जगना अच्छा : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
अपनी आत्मा को पापों के भार से बचाने का प्रयास कर सकते हैं - शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
मोहनीय कर्म की तीव्रता से बचने का हो प्रयास : महातपस्वी महाश्रमण
ज्ञान के विकास में प्रतिकूल आचरण से बचने का प्रयास करना चाहिए - शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
उजाला से उज्ज्वलता की दिशा में कन्याओं का हो विकास : युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण
शाकाहार एवं नशामुक्ति विषय पर अणुव्रत अनुशास्ता के सान्निध्य में सर्वधर्म संगोष्ठी
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शांतिवन में युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जी ने कहा सबके प्रति मैत्री भाव से ही विश्व शांति संभव
प्रभु पार्श्वनाथ की तरह हम भी बने वीतराग – आचार्य महाश्रमण
भौतिकता के लिए नैतिकता को न छोड़े – आचार्य महाश्रमण
शुभ भावों में रहने का करे प्रयास – आचार्य महाश्रमण
दृष्टिकोण हो उदारवादी – आचार्य महाश्रमण
सहनशीलता अपना कर क्रोध से बचे - आचार्य महाश्रमण
अपने ज्ञान का ना हो अहंकार  - आचार्य महाश्रमण
जीने के कला है धर्म  - आचार्य महाश्रमण
अध्यात्म में ध्यान का शीर्ष स्थान  - आचार्य महाश्रमण
बच्चें देश का भविष्य  - आचार्य महाश्रमण
भीतर में जागृत करे ज्ञान का प्रकाश  - आचार्य महाश्रमण