आचार्यश्री
महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री ईलाकुमारीजी (वय ५९ वर्ष) का बुधवार
दोपहर 3:15 बजे शांति निकेतन सेवा केन्द्र में स्वर्गवास हो गया। गंगाशहर
के भूरा परिवार की बेटी ईलाकुमारीजी की दीक्षा आचार्यश्री तुलसी के कर
कमलों से हुई थी। इनकी दीक्षा को 4० वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान में
साध्वीश्रीजी की 'लघुसिंह निष्कीडितÓ तप की आराधना कर रही थी। साध्वी
ईलाकुमारीजी का तपस्या के प्रति गहरा लगाव था, वर्षों से एकान्तर तप की
साधना कर रही थी बहुत ही सेवाभावी, सरल और शांत प्रकृति की भद्र साध्वी थी।
उनकी अंतिम यात्रा 4:30 बजे शांति निकेतन सेवा केन्द्र से रवाना होकर,
तेरापंथ भवन, अणुव्रत मार्ग नई लाइन स्थित साध्वीश्री के संसारपक्षीय निज
निवास, चौरडिय़ा चौक, मैन बाजार होते हुए पुरानी लाइन स्ििात श्मशान गृह
पहुंची, जहां पर साध्वीश्री ईलाकुमारीजी के संसार पक्षीय भाई सुरेन्द्र
भूरा ने मुखाग्नि दी। मात्र 1 घंटे की सूचना में ही साध्वीश्री की अंतिम
यात्रा में गंगाशहर, बीकानेर, उदासर, भीनासर, नाल आदि क्षेत्र के
श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र डाकलिया ने
बताया कि अंतिम यात्रा में कन्या मंडल, किशोर मंडल, युवक परिषद, महिला
मंडल, तेरापंथी सभा आदि के सैकड़ों सदस्य शामिल हुए, ढोल, नगाड़े, बैंड आदि
अंतिम यात्रा में धार्मिक गीतों का संगान कर रहे थे।
एक अनुमान के
अनुसार एक घंटे की सूचना से इतनी बड़ी श्रावक समाज की उपस्थिति सभी को
विस्मय में डाल रही थी। मर्यादा महोत्सव के कारण देशभर से समागत
सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु श्रावक-श्राविका वृंद भी समूह रूप में शामिल होकर
दिवंगत साध्वी को श्रद्धांजलि दे रहे थे।
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