Top Ads

साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा का 'चयन दिवस' मनाया



बुधवार को प्रात: 7.30 बजे जब साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा अपनी सहवृतिनी साध्वियों के साथ शांति निकेतन से चलकर तेरापंथ भवन में आचार्यप्रवर महाश्रमणजी को नियमित क्रम के तहत वन्दना करने पधारे तब हर ओर से साध्वीप्रमुखा को उनके 43वें चयन दिवस (साध्वीप्रमुखा मनोनयन) पर बधाई देने का क्रम प्रारंभ हो गया। इस अवसर पर सहज रूप से बधाई देने का कार्यक्रम एक अनियोजित समारोह में तब्दील हो गया। सभी ने मुक्तकंठ से साध्वीप्रमुखाश्रीजी के साध्वीप्रमुखा पद पर 42 वर्ष सानन्द सम्पन्न होने पर उन्हें बधाई और शुभकामना देने की होड़ सी लग गई।
आचार्यप्रवर ने कहा कि जब साध्वीप्रमुखाश्रीजी का मनोनयन हुआ तब वे स्वयं बहुत छोटी थीं और पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी आयु में उनसे काफी बड़े थे। आज संघ विकास में साध्वीप्रमुखाश्रीजी का बहुत बड़ा योगदान है, वे आगे भी इसी रूप में मुझे सहयोग करते हुए संघ विकास में नए आयाम जोड़ती रहें। वे मुझसे तो काफी बड़े हैं, अनुभवी हैं, पूज्य गुरुदेव के साथ एवं आचार्य महाप्रज्ञजी के साथ लम्बे समय तक काम किया है। साहित्य संपदा के क्षेत्र में भी महत्तीय कार्य कर रहे हैं। हमारी खूब-खूब इनके प्रति शुभाषंशा है। ये स्वस्थ रहते हुए गणविकास में योगभूत बने। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरुदृष्टि की आराधना करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है। आचार्यप्रवर की दृष्टि और उनके इंगित को पूरा करती रहूं यही आचार्यप्रवर से आशीर्वाद चाहती हंू। हमारा संघ जयवंता है, सौभाग्यशाली है जिन्हें ऐसे आचार्य मिले हैं जिन्होंने अपने कृतत्व से इतिहास गढ़े हैं। इस अनियोजित कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल, युवक परिषद, किशोर मंडल आदि में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। डाकलिया बन्धु के भंवरलाल और प्रकाश डाकलिया ने भावपूर्ण गीतिका पेश की, मुमुक्षु शांता, जैन लूणकरण छाजेड़ तथा हंसराज डागा ने भी अपने भाव इस अवसर पर व्यक्त किए। साधुवृंद ने समूह रूप में एवं साध्वीवृंद ने भी समूह रूप में इस अवसर पर साध्वीप्रमुखा श्रीजी को चयन दिवस पर पर भावपूर्ण गीतिका पेश कर समस्त सदन को मंत्रमुग्ध कर दिया।

Post a Comment

0 Comments