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आचार्यप्रवर ने किया तीन दीक्षार्थियों का दीक्षा संस्कार


 
दीक्षार्थी प्रिंस ने दीक्षा समारोह में कहा कि सब पूछते हैं कि तुम इतने छोटे हो, तुमने दीक्षा क्यों ली है। मैं आप सबसे पूछता हंू आप इतने बड़े हैं और अभी तक दीक्षा क्यों नहीं ली। आत्मा कभी छोटी-बड़ी नहीं होती। मुझे भी दूसरे बच्चों की तरह दौडऩा अच्छा लगता है लेकिन मैं मोक्ष की राह पर दौड़ूंगा। दूसरे बच्चों की तरह मुझे भी गोदी अच्छी लगती है लेकिन मुझे माता-पिता की गोदी नहीं गुरुदेव की गोद चाहिए। ऐसा आशीर्वाद चाहता हंू कि गुरुदेव आपकी सेवा करके फटाफट मोक्ष प्राप्त करुं।
 
मुमुक्ष प्रसिद्धि ने कहा कि जन्म-मरण से मुक्त होने की चाह को आज राह मिल गई। एक खुशी को लेकर जब बार-बार खुश नहीं हो सकते तो एक दुख से बार-बार दुखी नहीं होना चाहिए। आज का दिन मेरे लिए महत्वपूर्ण है जो मुझे मोक्ष का मार्ग दिखलाने वाला गुरु मिल गया है।
 
मुमुक्ष रजनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि वह सौभाग्यशाली है कि उसे अपनी जन्मभूमि में दूसरी बार जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आज मंगल घड़ी में मुझे मंगल अभ्युदय प्राप्त हुआ है। वर्तमान जीवन में सद्गुरु, सद्धर्म मिलना दुर्लभ है लेकिन मैं कहती हंू कि मुझे सद्धर्म और सद्गुरु सहज सुलभ मिले हैं। आपकी पवित्र सन्निधि में पंच महाव्रतों की दौलत पाने को मैं लालायित हंू।

हजारों-हजारों बने साक्षी
संयोजक हंसराज डागा ने बताया कि रविवार को हुए दीक्षा समारोह में एक अनुमान के अनुसार लगभग तेरापंथ भवन में एवं बाहर महावीर चौक तक करीब 12 से 13 हजार लोग इस दीक्षा समारोह के साक्षी बने। गंगाशहर में किसी दीक्षा समारोह में इक_ा होने वाली यह रिकॉर्ड संख्या है। मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति द्वारा इस दीक्षा समारोह के लिए व्यापक स्तर पर श्रेष्ठ व्यवस्था कर आगन्तुकों को अविस्मरणीय समारोह का हिस्सा बनाया। तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, किशोर मंडल, कन्या मंडल एवं सभी व्यवस्था सदस्यों ने दीक्षा समारोह को सफल बनाने में अहम् भूमिका निभाई। तेरापंथ भवन के मुख्य द्वार पर एवं मुख्य मार्ग पर दो बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई गई जिससे भवन के अंदर चल रहा दीक्षा समारोह का सीधा प्रसारण भी दिखाया जा रहा था।


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