बीकानेर। आचार्यप्रवर महाश्रमण का गुरुवार को प्रवचन के बाद
करीब 11:35 पर तेरापंथ भवन से विहार हुआ । आचार्यप्रवर के विहार पूर्व
गंगाशहर
स्थित तेरापंथ भवन में गुरुवार को प्रात: 9.30 बजे मंगल भावना समारोह का
आयोजन किया गया। आचार्यश्री महाश्रमण ने अपने व्याख्यान में कहा कि साधु और
गृहस्थ की जीवनचर्या में बहुत अंतर होता है। साधु की जीवनचर्या संयमप्रधान
होती है। चलना, बैठना, उठना, खड़े रहना, नींद लेना व बोलने सहित सभी
कार्यों में संयम होता है। हर प्रकृति में साधु को संयम से ओतप्रोत रहना
चाहिए। किसी भी क्रिया से जीव हिंसा न हो ऐसा प्रयास रहे। साधु विशेष रूप
से ध्यान रखे कि खुले मुंह न बोलें, मुखवस्त्रिका हर समय रहनी चाहिए। आहार
करते समय बोलना नहीं चाहिए। बाल मुनिश्री प्रिंस कुमार को अपने समक्ष
बुलाकर महाश्रमणजी ने मुख वस्त्रिका के बारे में पूछा तथा जब मुखवस्त्रिका न
हो तो किस प्रकार मुंह पर हाथ रखकर बात की जाए। बाल मुनिश्री प्रिंस कुमार
द्वारा सब सही-सही विधि प्रस्तुत किए जाने पर महाश्रमणजी ने कहा कि वे
संतुष्ट हैं कि छोटे-से संत में इतनी समझ आ गई है। आचार्यश्री ने कहा कि
बोलें तो कटुवाणी न निकले, हल्के शब्दों का प्रयोग न करें। बड़े संत को
स्वामी तथा छोटे संतों को भी सम्मानजनक संबोधन करें। समय का विशेष ध्यान
रखना चाहिए। गोचरी लाने का समय हो, आहार का समय हो या व्याख्यान का समय हो।
जो समय निर्धारित कर दिया है उसमें कभी देर नहीं होनी चाहिए। संघ की
व्यवस्था है कि सब साधु-साध्वी एक ही आचार्य की आज्ञा का पालन करें। कहीं
भी, कभी भी, जाने-अनजाने में गुरु आज्ञा का उल्लंघन न हो। निजी
शिष्य-शिष्याएं न बनाएं। योग्य व्यक्ति को ही दीक्षित करें। साधु सूत्र के
मार्ग पर चले। आगमों का यथोचित्त रूप से स्वाध्याय करें।
विहार की पूर्व संध्या बुधवार शाम को 7:30 बजे मंगल भावना कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में कोमल पुगलिया ने 'ऊर्जा का अक्षयकोष गुरु जाना न सुहायाÓ
मंगलाचरण प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत की। निर्मल बैद ने 'गुरुवर एकर
तो गंगाणै ने संभाळ लिज्योÓ तथा कन्या मंडल ने 'लेकर विदाई तुम जा रहे होÓ
गीतिका प्रस्तुत की। इस अवसर पर किशोर मंडल के दिनेश सोनी ने कहा कि किशोर
मंडल को जो भी दायित्व सौंपा गया उसे गुरुकृपा से भलीभांति पूर्ण किया गया।
महिला मंडल अध्यक्ष संतोष बोथरा ने कहा कि महिला मंडल द्वारा किसी भी
प्रकार का अविनय या असाधना हुई हो तो अंतर्मन से क्षमा याचना करती हैं। 'नए
सूरज की नई किरणों से मैं आपको विदा करता हंूÓ कहते हुए तेरापंथ युवक
परिषद के मनोज सेठिया ने कहा कि स्वागत के लिए हम उल्लासित उपस्थित हुए और
आज विदाई हमारे दिल में भावुकता पैदा कर रही है। अणुव्रत समिति के अशोक
बाफना ने कहा कि 22 दिनों में गुरुदेव के मुख से पीयूष पान किया और
ऐतिहासिक आयोजनों का सफलतापूर्वक संपन्न होने पर प्रसन्नता है। तेरापंथ सभा
की ओर से राजेन्द्र सेठिया ने कहा कि 22 जनवरी को आचार्यश्री महाश्रमण का
पर्दापण हुआ और आज मंगल भावना समारोह का आयोजन किया गया। आचार्य प्रवर से
निवेदन है कि वे हमें आपस में मैत्री व संघनिष्ठा में जुटने तथा एकजुट होकर
कार्य करने का आशीर्वाद दें। इसी एकजुटता से हम संघ को विकासमान कर
सकेंगे। व्यवस्था समिति उन सबके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है। शांति
प्रतिष्ठान के अध्यक्ष अनोपचन्द बोथरा, आसकरण पारख, भोजनशाला के सहप्रभारी
कमल बोथरा, आवास व्यवस्था के राजेन्द्र पारख तथा किशन बैद, अल्पाहार के
भैरोदान सेठिया, जय सिंह बैद ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
आचार्यश्री ने उपस्थित सभी साधु-साध्वियों तथा समणश्रेणी को
दिशा-निर्देश व सूचनाएं दी। उनके प्रवास-विहार संबंधी जानकारी देते हुए
उनके विहार से पूर्व उन्हें मंगल पाठ सुनाया। आचार्यश्री ने कहा कि कुछ
दिन साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी यहां भीनासर में प्रवास करेंगी। उपस्थित
सभी मुनिवृंदों ने लेखपत्र का वाचन किया। साध्वीवृंद ने गीतिका प्रस्तुत
की।
सूचना एवं मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र डाकलिया ने बताया कि
गुरुवार को गंगाशहर तेरापंथ भवन से विहार कर महाश्रमणजी गंगाशहर के ही
नाहटा भवन में प्रस्थान किया है।
सूचना एवं मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र डाकलिया ने कहा कि
150वां मर्यादा महोत्सव, आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह तथा दीक्षा
समारोह जैसे ऐतिहासिक आयोजन आचार्यप्रवर के सान्निध्य में सम्पन्न हुए। आगे
पता नहीं कब अवसर मिलेगा हमें गुरुदेव की सेवा का लेकिन जितना मिला उसके
लिए हम खुद को भाग्यशाली मानते हैं। डाकलिया ने कहा कि 22 दिवस तक सभी
कार्यकर्ताओं ने चाहे वह जैन हो या जैनेत्तर सबने अपने हृदय से आयोजन को
सफल बनाया है।
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