आचार्य श्री महाश्रमणजी ने पीलीबंगा में कहा
प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में विभिन्न धार्मिक
चित्रों के साथ नैतिकता रूपी देवी का एवं घरों में अहिंसा रूपी देवी का
चित्र अपने दिमाग व व्यवहार में रखकर ही कर्म करने चाहिए। अच्छे कर्म करने
से ही आत्मा की शुद्धि होती है। इस अवसर पर आचार्य श्री के स्वागत में मुनि
श्री विजयराजजी , मुनि निर्मल प्रकाशजी , मुनि श्री दिनेश कुमारजी व
मुख्य नियोजिका साध्वी श्री विश्रुतविभा ने भी गीतिकाओं के माध्यम से
अभिव्यक्तियां दीं।
पूज्य प्रवर
एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी के 14 वर्ष बाद पीलीबंगा आगमन पर
पूरे कस्बे के मुख्यमार्ग पूज्य प्रवर के बैनरों व झंडों से गुजयंमान है
! पूरे कस्बे में आचार्य श्री के आगमन पर आध्यामिक मेले का सा माहौल बना
हुआ है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर व
बीकानेर जिले के श्रावक-श्राविकाओं सहित अन्य राज्यों से भी जैन धर्मावलंबी
पहुंचे।
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