साध्वीश्री सौम्यमूर्तिजी के संथारे को सौ सौ सलाम,
सौम्य रूप-दृढ़ संकल्प को शत शत प्रणाम,
सुखसाता पूर्वक करे संथारे तप का संघान,
आपके तप पर शासन देवी बनी रहे मेहरबान
तप की पवन से धर्म ध्वजा की लहर लहराएगी,
कल्पना मोक्ष की सतीवर की परवान चढाएगी,
तेरापंथ के डंके की चोट से धरती को गुजांएगी,
भिक्षुगण की महिमा का गुण दुनिया गाएगी
आज सतीवर के संथारे का है इक्कीसवा दिन,
चेहरा सतीवर का दिखता हे आज भी सौम्य शालिन,
तेरापंथ धन्य हे आज गुरुवर महाश्रमण के आधीन,
एसी साधना से ही सुशोभित है भारत की सरजमीन
पवन सुराणा, कोलकाता, तारानगर
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