फतेहाबाद।नहर कॉलोनी स्थित तेरापंथ जैन सभा में आयोजित समारोह में प्रवचन के दौरान आचार्य महाश्रमण ने फरमाया कि विनम्रता से अहंकार पर जीत हासिल की जा सकती है। सत्ता का कभी भी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। इसलिए जीवन में हमेशा विनम्र बने रहें। विनम्रता ऐसा साधन है जो सभी कष्टों को दूर करता है। उन्होंने कहा कि कभी भी किसी के प्रति कटु वचन नहीं बोलने चाहिए। अगर चाय में चीनी की बजाय नमक डालोगे तो चाय में किसी भी सूरत में मिठास नहीं आएगी। जीवन में मिठास चाहिए तो विनम्रता लाइए। सार्थक जीवन जीने के लिए साधु संत बनना ही कोई जरूरी नहीं है। गृहस्थ जीवन में भी संयमता, सहनशीलता, विनम्रता, सामंजस्यता, शुचिता और ईमानदारी व मेहनत करते हुए भी वही काम किया जा सकता है जो सच्चे साधु संत करते हैं। सच्चे साधु संत सदैव मानवता भलाई का ही काम करते हैं।
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