धारसूल कुलां 20 अप्रेल 2014 जैतस न्यूज
तेरापंथ धर्म संघ के 11वें अधिशास्ता पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण जी का धारसूल कलां आगमन पर जैन समाज द्वारा स्वागत किया गया। उनके स्वागत में प्रदेश भर से आए श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। गौशाला मैदान में आयोजित पंडाल में प्रवचन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि आदमी का शरीर एक नाव है। इस नाव पर सवार होकर आदमी साध्य जीवन जी कर भवसागर पार कर सकता है। अगर इस नाव को सागर की मझधार में छोड़ दें, तो रास्ता भटक जाएगा। शरीर में प्राण है तो जीवन है। बगैर प्राण के शरीर का कोई मोल नहीं होता। जीवन को सही मान्यों में जीने के लिए अच्छे कर्मों को अपना कर बुरे कर्मों से छुटकारा पाया जा सकता है। दुनिया में कई धर्मों के लोग अपने अपने धर्म के अनुसार अराधना करके जीवन सफल बनाने का रास्ता तलाशते हैं। अहिंसा व दया भावना के मार्ग पर चल कर की गई उपासना ही जीवन को सुखमय बनाती है। चोरी ठगी का कारोबार कभी फलता फूलता नहीं है। ईमानदारी व मेहनत से प्राप्त किया गया धन ही असली कमाई होती है। आदमी एक ऐसा जीव है जिसकी बुद्धि का विकास अधिक हुआ है। बुद्धि के विकास को बुरे कर्मों से बचा कर अच्छे कर्मों की तरफ लगाकर जीवन सफल बनाएं। बुद्धि मिली है तो बुद्धिमान बन कर जीना सीखें। दुनिया की भाग दौड़ में आदमी बेईमानी, फरेब, चोरी व झूठ के जाल में फंस रहा है। इससे वह शांतिमय जीवन से दूर होता चला जाता है। कार्यक्रम में कृषिमंत्री परमवीर सिंह, डेरा बाबा शामपुरी के महंत बाबा संतपुरी, समाजसेवी देवेंद्र सिंह बबली, पूर्व विधायक निशान सिंह, ईश सरना ने आचार्य महाश्रमण का पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने पर स्वागत किया। इस मौके पर तेरापंथ जैन संस्थान धारसूल में बने नए भवन का उद्घाटन समाजसेवी ईश सरना ने किया। आचार्य रविवार की रात को जैन संस्थान धारसूल में रूकने के बाद सोमवार को भूना के लिए विहार किया रिपोर्ट: अनिल जैन देवेंद्र डागा , पारस जैन
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