नोहर। विभिन्न धर्मों में बंटी भारतीय संस्कृति को वर्तमान संक्रमणकाल में बचाना बड़ी चुनौती है। तेरापंथ संघ की महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा ने रविवार को दिवंगत बच्छराम छाजेड़ भवन मैदान में प्रवचन के दौरान यह बात कही। साध्वी ने कवि दिनकर की पंक्तियां दोहराते हुए कहा कि संस्कृति को परिभाषित करना कठिन है। उसे शब्दों में नहीं बांध सकते। भारतीय संस्कृति व प्रकृति की विकृति के लिए बाहरी शक्तियों के साथ ही भारतवासी भी जिम्मेदार हैं। अनैतिक और अपवित्र धंधा करने वाले जैन कहलाने के अधिकारी नहीं है, चाहे वे धूम्रपान वस्तुएं व गुटखा बनाने का व्यवसाय ही क्यों न करते हो।
उन्होंने कहा कि इच्छाओं का अल्पीकरण कर संतोषी जीवन शैली स्थापित करने की जरूरत है। साध्वी कल्पलता ने वर्तमान शिक्षा पद्धति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विद्या के बाजारीकरण से संस्कारहीनता अधिक बढ़ी है। कार्यक्रम में साध्वी अक्षय प्रभा सहित अनेक साघ्वियों ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए प्रबुद्व व्यक्तियों से आंदोलन शुरू करने का आग्रह किया।
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Om arham
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