
बहुचर्चित कृति महावीर का अर्थशास्त्र के लेखक राष्ट्र संत आचार्य महाप्रज्ञ ने दुनियाभर की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के संकट में आ जाने के पीछे लालच और भौतिकवादी संस्कृति है। उन्होंने अमरीका में हुए एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि जो बात भगवान महावीर ने हजारों वर्ष पहले कह दी उसे आज शोध के द्वारा कहा जा रहा है। भगवान महावीर ने श्रावको के लिए उपभोग परिमाण व्रत का जो विधान बनाया अगर उस पर ध्यान दिया जाता तो आज इस समस्या का सामना हीं नहीं करना पडता।आचार्य ने कहा कि यह जैनों की सबसे बडी भूल है कि उन्होंने अहिंसा पर बहुत चिंतन किया लेकिन अपरिग्रह पर ध्यान नहीं दिया। अपरिग्रह को समझने वाला ही अहिंसा को पूर्ण रूप से समझ सकता है। हिंसा और परिग्रह को अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वर्तमान अर्थशास्त्र उपभोगवादी मनोवृति को जागृत कर रहा है, इसी कारण आज मंदी की समस्या आई है।