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दिल्ली शाहदरा में आचार्य महाश्रमण ने प्रदान की दो मुनि दीक्षा


दिल्ली। 18 जून। पूज्य आचार्य महाश्रमणजी  ने आज दिल्ली के यमुनानगर स्पोर्ट्स कोम्प्लेक्ष में विशाल जनमेदिनी की उपस्थिति में मुमुक्षु नमन डागा एवं मुमुक्षु जयश बरलोटा को दीक्षा देते हुए फरमाया कि- दसवेआलियं साधू साध्वियों के लिए संजीवनी है। इसका निर्युहण विशेष प्रयोजन से हुआ है। ज्ञान अनंत-अपार है एवं हमारे पास काल कम है। ऐसे में दसवेआलियं जैसा सारपूर्ण आगम बड़ा महत्त्वपूर्ण है। उसमें बताया गया कि - भिक्षु वह होता है जो गृह त्याग कर, संयोग से मुक्त होकर, निष्क्रमण करने वाला एवं आगम वाणी में जिसका चित्त स्थिर हो। आज ये इक्षु जैसे मीठे बालक भिक्षु बन रहे है। 
आगम में कहा गया कि आठ वर्ष का व्यक्ति केवलज्ञानी बन सकता है, तो हमारे यहा विधान है आठ वर्ष की आयु पूर्ण करने पर दीक्षा हो सकती है। आचार्य प्रवर ने श्रमण संघ के उपाध्याय मुनि रविन्द्रकुमारजी के दीक्षा समारोह में सम्मिलित होने पर हार्दिक प्रसन्नता जताई। पूज्यप्रवर ने कम आयु के विराजित सभी साधू-साध्वियों का नाम लेकर उनके बारे में जनमेदिनी को परिचय दिया एवं उनसे उनके शिक्षा आदि के बारे में पूछा।
पूज्यप्रवर ने मुमुक्षु नमन डागा एवं मुमुक्षु जयश बरलोटा के परिवारजनों से आज्ञा के लिए पूछा एवं परिवारजनों ने गुरु चरणों में आज्ञा पत्र समर्पित किए। पूज्यप्रवर ने मुमुक्षुओं से कुछ प्रश्न पूछ उनकी कसौटी की। नमस्कार महामंत्रोच्चार एवं याव्व्जीवन साधू प्रतिज्ञा करवा कर पूज्य गुरुदेव ने दोनों दीक्षार्थीयों को अतीत की आलोचना दिलवाई। पूज्यप्रवर के करकमलों से  दीक्षार्थीयों का केश लोच संस्कार हुआ एवं पूज्यप्रवर ने दोनों नवदीक्षित मुनियों को रजोहरण प्रदान करते हुए आशीर्वाद प्रदान किया। दीक्षा उपरान्त पूज्यप्रवर ने मुमुक्षु नमन डागा का मुनि नमनकुमार एवं मुमुक्षु जयश बरलोटा का मुनि जयेशकुमार  के रूप में नामकरण संस्कार किया। 
इस से पूर्व श्रद्धेय मंत्री मुनि प्रवर ने फरमाया कि-वैराग्य भाव भाग्योदय का द्योतक है। दीक्षार्थी आत्म विकास की ओर आगे बढे। श्रावक भी आज के दिन कोई संकल्प कर संयम की साधना करें। संघमहानिदेशिका साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी ने तेरापंथ धर्मसंघ में दीक्षित होने को विशिष्ट बताया। 
पुज्य्प्रवर ने उपस्थित जनमेदिनी को सामूहिक रूप से नशामुक्ति का संकल्प करवाया।

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