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गाजियाबाद में आचार्य श्री महाश्रमणजी का नागरिक अभिनंदन



गाजियाबाद, 19 जून 2014 गाजियाबाद महानगर परिषद के महापौर श्री तेलुराम कम्बोज ने कहा कि वर्तमान की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय हिंसक एवं आतंकवादी गतिविधियों के बीच अहिंसा की शक्ति को तेजस्वी बनाना जरूरी है। अहिंसक समाज रचना से ही अनेक समस्याओं का समाधान संभव होगा। जिस तरह महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में अहिंसा की शक्ति को तेजस्वी बनाया ठीक उसी तरह आचार्य श्री महाश्रमण ने अपने कार्यक्रमों और जीवनशैली से अहिंसा को शक्तिशाली बना रहे हैं।  श्री कम्बोज आज सूर्यनगर एज्युकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल में अणुव्रत अनुशास्ता, अध्यात्म के महान साधक, समाज सुधारक, राष्ट्रसंत एवं अहिंसा के प्रखर प्रवक्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी के नागरिक अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। श्री कम्बोज ने संपूर्ण गाजियाबाद वासियों की ओर से उनका अभिनंदन किया और महानगर परिषद गाजियाबाद की ओर से अभिनंदन पत्र समर्पित किया। विदित हो कि आचार्य श्री महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली की पदयात्रा करते हुए आज गाजियाबाद पधारे। श्री कम्बोज ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण का गाजियाबाद आगमन निश्चित ही यहां की जनता के लिए कल्याणकारी होगा। उन्होंने आचार्य तुलसी के अणुव्रत आंदोलन को नैतिक और चरित्र स्थापना का एक महत्वपूर्ण उपक्रम बताया। इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नैतिक मूल्यों की उपयोगिता विषय पर शिक्षाविद् एवं विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े शिक्षाकर्मियों ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रातः आचार्य श्री महाश्रमणजी के स्वागत में भव्य नशामुक्ति रैली भी आयोजित की गई। जिसमें क्षेत्र के धार्मिक जनों के अलावा शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।  नागरिक अभिनंदन समारोह के मुख्य अतिथि जनता दल यूनाइटेड के महासचिव श्री के॰ सी॰ त्यागी ने कहा कि आज देश और दुनिया को महावीर के सिद्धांतों पर चलने की जरूरत है। मैं महावीर की भूमि का ही राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। जैन धर्म और उनके सिद्धांतों में सभी समस्याओं के समाधान निहित हैं। आचार्य श्री महाश्रमणजी उसी परम्परा के एक शिखर पुरुष हैं जो अपनी अहिंसा यात्रा के माध्यम से जन-जन में साम्प्रदायिक सौहार्द एवं राष्ट्रीय एकता की भावना जगा रहे हैं। उन्होंने युग की जटिल समस्याओं और उससे जुड़ी चुनौतियों को समाहित करने का सफल उपक्रम किया है। ऐसे संतपुरुषों की त्याग और तपस्या हम सबके लिए प्रेरक है। इस अवसर पर आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि देश का भविष्य बच्चों पर निर्भर है। जिस देश की शिक्षा पद्धति में नैतिकता और चारित्रिक मूल्यों की प्रशिक्षण की बात जुड़ी है उस देश में समस्याएं कम होती हैं। उन्नत भविष्य के लिए बच्चों को नैतिक दृष्टि से समृद्ध बनाना जरूरी है। क्योंकि शिक्षा जीवन के लिए वरदान है। उन्होंने आगे कहा कि आज शिक्षा को सर्वांगीण बनाने की जरूरत है। बौद्धिक और भौतिक विकास के साथ-साथ भावनात्मक एवं नैतिक विकास भी जरूरी है। इन चारों पायदानों पर जो शिक्षा पद्धति खड़ी है वही सर्वांगीण है। उन्होंने विद्या भारती स्कूल को एक आदर्श शिक्षा संस्थान बताया। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि शिक्षा में नैतिक मूल्यों की स्थापना जरूरी है। इसी से एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। उन्होंने आचार्य श्री महाश्रमण के उत्तरप्रदेश पधारने पर कहा कि संतों के लिए क्या उत्तरप्रदेश? क्या दिल्ली? क्या राजस्थान? आपके लिए तो पूरा विश्व ही है। समाज के लोग आचार्यवर का लाभ उठाकर अपने जीवन को धन्य करें। इस अवसर पर इंद्रपस्थ इंजीनियरिंग काॅलेज के निदेशक श्री एस. एस. जैन, मेवाड़ इंस्टीट्यूट की निर्देशिका श्रीमती अलका अग्रवाल, पत्रकार एवं कवि श्री चेतन आनंद, अणुव्रत महासमिति के पूर्व अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के उपाध्यक्ष श्री पन्नालाल बैद, सूर्यनगर एज्यूकेशन सोसायटी के अध्यक्ष श्री मनीष जैन, डाॅ. सी. आर. जैन, श्रीमती खुशबू भंसाली, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा-शाहदरा के अध्यक्ष श्री भानुप्रताप बरडि़या, श्री भीखमचंद सुराणा आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आचार्य श्री महाश्रमणजी का स्वागत किया। कार्यक्रम का संयोजन सूर्यनगर एज्युकेशनल सोसायटी के महासचिव श्री ललित गर्ग ने किया। आभार ज्ञापन कार्यकारी अध्यक्ष श्री पंकज लुनिया ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के छात्र-छात्राओं के मंगलाचरण से हुआ एवं तेरापंथ महिला मंडल की महिलाओं ने मंगल गान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल दिल्ली की ओर से विकलांगों को कृत्रिम पांव प्रदत्त किये गए। सूर्यनगर एज्युकेशनल सोसायटी की ओर समस्त पदाधिकारियों ने आचार्य महाश्रमणजी को अभिनंदन पत्र समर्पित किया।  प्रेषकः (ललित गर्ग

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