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दक्षिण हावड़ा में साध्वी अणिमाश्री जी व साध्वी मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में चित समाधि कार्यशाला



दक्षिण हावड़ा 21 जून 2014, साध्वी श्री अणिमा श्री जी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ठाणा – 6 का दक्षिण हावड़ा ऐतिहासिक सफलतम चातुर्मास के पश्चात विभिन्न उपनगरों का भ्रमण करते हुए पाँच दिवसीय प्रवास हेतु दक्षिण हावड़ा पदार्पण हुआ । महासभा भवन से विशाल एवं भव्य जुलुस के साथ दक्षिण हावड़ा तेरापंथ भवन में प्रवेश हुआ। भव्य उपस्थिति चातुर्मास की स्मृति करवा रही थी।

तेरापंथ सभा द्वारा स्वागत कार्यक्रम के साथ साथ महिला मण्डल द्वारा काफी संख्या में भाई – बहनों ने भाग लिया।

साध्वी श्री अणिमा श्री जी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा – जन्म और जीवन दोनों अपने आप में महत्वपूर्ण है किन्तु जन्म जन्म में चित समाधि हो न हो फर्क नहीं पड़ता किन्तु जीवन में उमंग, उत्साह, आनंद और अनुपम संतुष्टि के लिए चित समाधि की जरूरत है। बिना चित समाधि के भी जीवन तो कदम दर कदम आगे बढ़ता ही है किन्तु उसमें समरसता का अमृत नहीं होता। जीवन में जीवटता हो, कर्म में कर्मठता हो, पराक्रम में प्रचण्डता हो इस हेतु चित समाधि की हर दिन ही नहीं हर पल आवश्यकता रहती है। चित समाधि की प्राप्ति के अनेक सोपान है – मैत्री का विस्तार, अनाग्रही चेतना का निर्माण, ये दोनों चित समाधि रूपी महल के मजबूत स्तम्भ है।

साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा – वर्तमान परिवेश में जीने वाला व्यक्ति कई बार महसूस करता है कि वह अपनों के बीच अकेला है। उसे अपने अंतकरण में ऐसा लगता है कि अंधेरे का साम्राज्य जाजम बिछा कर बैठ गया है। ऐसी परिस्थिति में अकेलेपन को दूर करने एवं अंधेरे को नेस्तनाबूद करने के लिए आत्मविश्वास के दिए में स्नेह, सौहार्द एवं सामंजस्य का तेल भरकर धैर्य कि बाती को प्रज्वलित करना होगा तभी चित समाधि कि महफिल में समूचा जीवन प्रकाश से जगमगा उठेगा। सहिष्णुता का फानूस उस दिए को सदा सदा के लिए सुरक्षित रखेगा। जरूरत इतनी ही है कि इन पहलुओं को समझें और जीवन को समझ के नए सांचे में फिट करके हर दिन को उत्सव बनाकर जीना सीख लें।

साध्वी श्री जी ने फरमाया – दक्षिण हावड़ा आए है। अच्छा स्वागत किया है। महिला मण्डल द्वारा किया गया स्वागत मन रिझाने वाला है । पचरंगी कि लम्बी लिस्ट एवं पाँच उपवास कि बारियों कि भेंट कर हमारा सच्चा स्वागत किया। दुशरी सभा-संस्थाए भी प्रेरणा लें। त्याग – तपस्या के प्रति हमारी भावना बढ़ती रहे, मंगलकामना।

साध्वी श्री मैत्री प्रभा जी ने चित समाधि के कुछ सूत्रों कि चर्चा कि। श्री राजेश दुगड़ ने चित समाधि कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया।

सभाध्यक्ष श्री मालचंद जी भंसाली ने कहा – साध्वी श्री जी हमें बीस दिन का प्रवास दिया था किन्तु हमारा क्षेत्र उससे वंचित रह गया किन्तु एचएम वह प्रवास ना मिलने पर भी खुश है क्योकि उस समय में आपने गुरु आज्ञा से साध्वी श्री हिम्मतयशा जी को दीक्षा प्रदान कर कोलकाता में नया इतिहास रचाया था। पर अब हम चाहते है कि हमें ब्याज सहित मिलें।
महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती लीला चोरडिया , मंत्री श्रीमती सरिता श्यामसूखा ने विचार व्यक्त किए। महिला मण्डल कि बहनों ने सुमधुर गीत कि भावपूर्ण व शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री श्री मदन नाहटा ने किया।



प्रस्तुति : जैन तेरापंथ न्यूज़ ब्यूरो कोलकाता से पंकज दुधोड़िया