दिल्ली. २३ जुलाई. गांधी
सेवा सदन राजसमन्द द्वारा प्रकाशित एवं डॉ. महेंद्र कर्णावट द्वारा लिखित पुस्तक “योगी
से युग पुरुष” ले लोकार्पण समारोह में उपस्थित जनमेदिनी को संबोधित करते हुए आचार्य
श्री महाश्रमण ने फरमाया कि- आर्हत वांग्मय के अनुसार मोक्ष का उपाय योग है. योग
का सही अर्थ सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन एवं सम्यक चारित्र का योग होना है. इनकी
आराधना करनेवाला सच्चा योगी है. योग को केवल आसन प्राणायाम ना माने. अहिंसा, सत्य,
अचौर्य, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह की साधना योग की साधना है. योग का अर्थ है जोड़ना,
मोक्ष से जोड़ने वाला, मोक्ष की ओर अग्रसर करने वाला योग है. आचार्य तुलसी स्वयं तो
योगी थे एवं योगियों का निर्माण करनेवाले थे. आचार्य तुलसी अपने युग के महान पुरुष
थे. उन्होंने अणुव्रत यात्रा की. उनके युग में अणुव्रत-प्रेक्षाध्यान-जीवन विज्ञान
की पद्धति प्रारम्भ हुई. दक्षिण यात्रा के समय उन्हें युगप्रधान से अलंकृत किया
गया.
इस अवसर पर श्रद्धेय मंत्री मुनि श्री सुमेरमलजी ने फरमाया कि- आचार्य श्री तुलसी के आयामों को जन-व्यापी बनाना ही उनके प्रति हमारी सच्ची भावांजलि होगी. साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने फरमाया कि- आचार्य श्री तुलसी की जन्म शताब्दी पर अनेक उपक्रम हो रहे है एवं उनमे से एक साहित्य को उजागर करना है. युगपुरुष वो होता है जो सत्य का संघां करे, स्वयं की पहचान करे एवं यूग में प्राण भरें.
इस अवसर पर श्रद्धेय मंत्री मुनि श्री सुमेरमलजी ने फरमाया कि- आचार्य श्री तुलसी के आयामों को जन-व्यापी बनाना ही उनके प्रति हमारी सच्ची भावांजलि होगी. साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने फरमाया कि- आचार्य श्री तुलसी की जन्म शताब्दी पर अनेक उपक्रम हो रहे है एवं उनमे से एक साहित्य को उजागर करना है. युगपुरुष वो होता है जो सत्य का संघां करे, स्वयं की पहचान करे एवं यूग में प्राण भरें.