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कन्या मंडल राष्ट्रीय अधिवेशन "ओजस" का हुआ आगाज

पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आयोजित 28 से 29 जुलाई तक चलने वाले दो दिवसीय 11वें वार्षिक राष्ट्रीय कन्या अधिवेशन ‘ओजस’ का आज शुभारम्भ हुआ। 

सैकड़ों की संख्या में उपस्थित कन्याओं के अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री महाश्रमणजी ने फरमाया कि- जिस मनुष्य में कुछ बनने की कामना होती है उसमें जिज्ञासा होनी चाहिए। कुछ करने की भावना व्यक्ति में होनी चाहिए। हाथी विशालकाय होता है किंतु एक छोटा अंकुश बहुत बड़े हाथी को नियंत्रित कर लेता है, अंधेरे को एक दीपक से दूर किया जा सकता है इसी प्रकार युवा अपने जीवन में तेजस्विता का विकास करे, जिस मनुष्य में जितनी तेस्विता होती है वह उतना ही अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं के भीतर ओज करुणा, संवेदनशीलता, ईमानदारी, नैतिकता का विकास हो, करुणा की चेतना जागृत हो तो अपनी तेजस्विता का विकास हो सकता है।

इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल स्वामी ने कहा कि जहां जीवन का प्रारंभ होता है वहां कई उमंग होती है, उमंगों को पूरी करना चाहते हो तो जीवन को संयमित, व्यवहारिक बनाना चाहिए।

हिसार से श्रीमती शालू जिन्दल, तेरापंथ महिला मण्डल की प्रधान ट्रस्टी श्रीमती सुशीला पटावरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सूरज बरड़िया आदि विशिष्ट महिला शक्ति उपस्थित थी। देश भर की आई हुई कन्याओं ने ओजस्वी, कन्या सुरक्षा, छू लें ऊंची उड़ान, ग्लोबाल वार्मिंग आदि पर परेड के माध्यम से समूह रूप में आकर्षक प्रस्तुति दी।