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वाणी का संयम और विवेक भी जरूरी है : आचार्य श्री महाश्रमण जी



"वाणी सयंम दिवस" 

नई दिल्ली, 25 अगस्त, 2014 दिल्ली के अध्यात्म साधना केंद्र, वर्धमान समवसरण से पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण जी ने उपस्थित जन समूह के समक्ष तीर्थंकर महावीर की अध्यातम यात्रा के प्रसंग का विवेचन किया। प्रसंग के माध्यम से पूज्य प्रवर ने कहा कि आदमी को ज्योतिष के पीछे ज्यादा नहीं भागना चाहिए। अति विश्वास नहीं करना चाहिए। आदमी को पुरुषार्थ करना चाहिए। आचार्य श्री महाश्रमण ने उपस्थित धर्मसभा को कर्तव्य बोध का ज्ञान करवाते हुए फरमाया कि पिता-पुत्र, गुरु-शिष्य का एक दूसरे के प्रति अपना-अपना कर्त्तव्य होता है। आचार्य तुलसी ने लम्बी - लम्बी यात्राएँ करके समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन किया। शिष्यों का कर्त्तव्य है गुरु की सेवा करना। गुरु इंगित के प्रति जागरूक रहना। प्राणियों का काम परस्पर सहयोग से चलता है। परिवार को स्वर्गतुल्य बनाने का प्रयास करना चाहिए। जिस परिवार के सदस्यों के भीतर सहयोग का भाव हो, शांति हो, सहिष्णुता हो, धार्मिक भावना हो, अनिवार्य अपेक्षाओं की पूर्ति हो, वह परिवार स्वर्गतुल्य हो सकता है। परिवार मे अनावश्यक प्रताडना न हो। पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिन "वाणी सयंम दिवस" पर विषयबोध देते हुए फरमाया कि भाषा एक ऐसा तत्व है जो हमारे विचार विनिमय का सशक्त माध्यम है। धार्मिक क्षेत्र में मौन का बड़ा महत्व है। जहाँ आवश्यकता हो वहां बोलना भी पड़ता है। बोले तो मधुर बोले। वाणी के दो विष है- लम्बा बोलना एवं सार का अभाव हो वैसा बोलना। संवतसरी का व्याख्यान हो तो लम्बा बोलना भी आवश्यक है। वाणी का संयम और विवेक भी जरूरी है। जहाँ आवश्यक हो वहां बोले। मंत्री मुनि श्री ने फ़रमाया कि चतुर्विध धर्म संघ के लिए संघ और संघपति प्रधान है। जो व्यक्ति संघ के प्रति निष्ठा रखता है आवश्यक है वो संघपति के प्रति भी उतनी ही निष्ठा रखे। संघपति के इंगित की आराधना के साथ संघ की अखंडता के प्रति जागरूक रहे। साध्वी श्री कल्याण यशा जी एवं मुनि विजय कुमार के द्वारा वाणी दिवस पर मधुर गीतिका का संगान किया गया। मुनि मोहजीत कुमार जी का भावपूर्ण वक्तव्य रहा। साध्वी श्री प्रबुद्ध यशा जी ने तीर्थंकर शांतिनाथ जी के जीवन चरित्र का वर्णन किया। कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन मुनिश्री दिनेश कुमार जी ने किया |

संवाद साभार : दिव्या जैन , विनीत मालू, जैन तेरापंथ न्यूज़ टीम दिल्ली २५/०८/२०१४