
दिल्ली। २० सित.। बौद्ध धर्मगुरु श्री दलाई लामा के निर्देशन में विभिन्न आध्यात्मिक परम्पराओं का सामूहिक सम्मेलन आज दिल्ली के ग्रैंड हयात होटल में आयोजित हुआ, जिसमे करीब १०३ धर्मगुरु सम्मिलित हुए। इस अवसर पर अपने संबोधन में आचार्य श्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि- आज विभिन्न धर्मों का सम्मेलन हो रहा है और मेरा ऐसा सोचना है कि संप्रदाय अलग अलग है परन्तु सम्प्रदायों में परस्पर मैत्री का भाव रहना चाहिए। संप्रदाय उन्माद को कहीं भी अवसर नहीं मिलना चाहिए। जैसे गाय, कोई गाय काली होती है कोई गाय पीली होती है परन्तु सभी गायों के दूध का असर आप लोगो पर समान होता है। वैसे ही विभिन्न संप्रदाय है, उपासना की पद्धतियाँ अलग अलग हो सकती है किन्तु हम सब धर्मों का मूल आधार अहिंसा, सत्य यह मुझे प्राय: सब समाजों में समान रूप में अनुमानित हो रहे है। हम इन तत्वों का विकास करे। मानवीय मूल्य ईमानदारी, अहिंसा आदि आदि तत्वों का हम प्रसार करे और अपने अपने अनुयायी है उन्हें विशेषतया नशामुक्त रहने का उपदेश दे, ईमानदारी के रस्ते पर चलने का उपदेश दे और धर्म के पथ पर चलने का, धर्म को अपनाने का उपदेश दे। श्री दलाई लामाजी के सन्दर्भ में आज यहाँ आना हुआ। आचार्य तुलसी से वह बहुत वर्षों पहले जैन विश्व भारती-लाडनू में मिले थे, डायलाग हुआ था, वह भी मुझे याद है, मेरी उनके प्रति और सभी के प्रति मंगलभावना है।
प्रस्तुति- अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़ से मान्या कुण्डलिया, रिषभ जैन, विनीत मालू, दिव्या जैन