
दिल्ली, 24 सितम्बर।
व्यक्ति के जीवन में समय का बड़ा महत्त्व है। समय का सदुपयोग, दुरुपयोग और अनुपयोग किया जाता है। समय अनंत है उसका स्वभाव है बितना, समय को पकड़ना कठिन काम है। पण्डित आदमी वह होता है जो समय को पकड़ना जानता है, समय का सदुपयोग करना जानता है। जो व्यक्ति आलस्य में रहता है वह समय का अनुपयोग करता है। समय बीत जाने के बाद समय लौट कर नहीं आता। जो व्यक्ति समय का दुरुपयोग करता है वह घटिया आदमी है। हम समय को बढिया बनाने का प्रयास करें। समय व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। उक्त विचार आचार्यश्री महाश्रमण ने अध्यात्म साधना केन्द्र के वर्धमान समवसरण में उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
आचार्य श्री ने कहा कि जो बुद्धिमान होते हैं वे समय को ज्ञानचर्चा में व्यतीत करते हैं। जो व्यक्ति अज्ञानी होते हैं वे समय को व्यसन में गंवाते, लड़ाई-झगड़े में समय को व्यतीत करते हैं। हम समय का अच्छे कार्यों में नियोजन करें। समय किसी के साथ पक्षपात नहीं करता वह अमीर गरीब सबको बराबर मिलता है। समय के प्रति आदमी को जागरूक रहना चाहिए।
मनुष्य के जीवन में धार्मिकता, अहिंसा, नैतिकता, ईमानदारी रहे, दिमाग अस्त-व्यस्त नहीं रहना चाहिए। आदमी परिष्कार कर कमियों को कम करने का प्रयास करे। जीवन का लक्ष्य रहे समय का अच्छा उपयोग करने का प्रयास करना चाहिये ।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।
प्रस्तुति : जैन तेरापंथ न्यूज़