Top Ads

समाज उत्थान के संदेशवाहक आचार्य तुलसी थे - आचार्य श्री महाश्रमण जी

नई दिल्ली, 8 सितंबर 2014
अध्यात्म साधना केंद्र, महरौली
आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी तृतीय चरण अवसर पर वर्धमान समवसरण में उपस्थित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए पूज्यवर ने फ़रमाया कि आर्हत वाड्मय में कहा गया है कि जो गुरु मुझे अनुशाशन प्रदान करते हैं उनकी मैं सतत पूजा करता हूँ । गुरु योग्य, धार्मिक तथा सत्य की प्रतिमूर्ति होने चाहिए । भारत में अनेक धर्म गुरु हुए ।
20वीं शताब्दी में आचार्य तुलसी हुए । समाज उत्थान के संदेशवाहक आचार्य तुलसी थे। आचार्य तुलसी ने समाज के उत्थान, रुढी-उन्मूलन के लिए प्रयत्न किया । पर्दा प्रथा, दहेज प्रथा, घूंघट प्रथा के उन्मूलन की दिशा में प्रयत्न किया। उन्होंने नया मोड़ तथा अणुव्रत का भी प्रवर्तन किया ।

आ. तु. का मानना था कोई भी नया काम करना हो पहले चिंतन करो । फिर निर्णय करो । उसके बाद क्रियान्विति करो । इन तीनों में ज्यादा फ़ासला नहीं होना चाहिए । उन्होंने कहा - चिंता नहीँ चिंतन करो । व्यथा नहीं व्यवस्था करो ।  प्रशस्ती नहीं प्रस्तुति करो ।नारी उत्थान तथा नशा मुक्ति के क्षेत्र में बहुत काम किया । आचार्य तुलसी के जीवन के अनेक आयाम थे। ऐसे संत को शत शत वंदन । आज चतुर्दशी के दिन मर्यादा पत्र वाचन के संदर्भ मे गुरुदेव ने फरमाया मर्यादा पत्र वाचन से शुद्धि तथा प्रेरणा मिलती है। प्रेरणा देने से व्यक्ति आगे बढ़ सकता है, तेजस्वी बन सकता है। तो हम अपनी साधना के प्रति जागरुक रहें । और अध्यात्म वातावरण बना रहे।

इससे पूर्व मंत्री मुनि श्री ने फरमाया कि  शताब्दी उस महापुरुष की मनाई जाती है जिन्होंने ऐसे सूत्र दिए जो कि 100 बरसों के बाद भी जीवनोपयोगी हो । आचार्य तुलसी समाज सुधार के पुरोधा थे ।हर बुराई पर गुरुदेव ने प्रहार किया । उनकी वाणी में ताकत थी । वे जैसा सोचते, वैसा कर भी देते । साध्वी प्रमुखा जी ने आचार्य तुलसी को बहु आयामी व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा उन्होने हर क्षेत्र में कार्य किया। साध्वी प्रमुखा श्री जी ने एक कविता के माध्यम से आचार्य तुलसी को श्रद्धांजलि अर्पित की ।

आज के कार्यक्रम में नेपाल के वित्तमंत्री श्री राम शरण महत्त  गुरुदेव को नेपाल आने का न्योता देने उपस्थित थे ।पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश , केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री हर सिमरत कौर बादल तथा भारतीय जनता पार्टी के महा सचिव श्री रामलाल जी उपस्थित थे ।आज साध्वी श्री श्रेष्ठ प्रभाजी ने 9 की तपस्या का प्रत्याख्यान पूज्य प्रवर से किया तथा अपने अंतरस्पर्शी वक्तव्य से सभी को भावुक कर दिया । कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमार श्रमण के द्वारा हुआ।