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अणुव्रत शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन

10 सितम्बर 2014 को अध्यात्म साधना केंद्र महरौली में अणुव्रत शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
परमपूज्य, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी ने शिक्षक संगोष्ठी में फ़रमाया कि शिक्षक पर बड़ा दायित्व होता है। आदमी के व्यक्तित्व निर्माण का दायित्व गुरु पर होता है। शिक्षक पढ़ाते हैं तो प्रयास करे कि शिक्षा से अच्छे संस्कार पैदा हों, नशा मुक्ति के संस्कार भी अपेक्षित हैं।

आज यंत्रों का युग है। इस भौतिक युग में शिक्षक अहिंसा, मैत्री और विनम्रता का संस्कार जगाने का प्रयास करें। बच्चे माता-पिता, समाज व राष्ट्र के लिए समस्या नहीं, समाधायक बने। आचार्य श्री तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान का प्रकल्प दिया। जो कल्याणकारी मार्ग है। गुरु का काम अज्ञान रुपी तम को दूर करना है।
पुस्तकीय ज्ञान के साथ अध्यात्म व संस्कार निर्माण का भी ज्ञान दें। इससे एक अच्छी पीढ़ी का निर्माण हो सकता है।

कार्यक्रम में मुनि सुखलालजी, मुनि किशनलाल जी, मुनि अक्षयप्रकाश जी व समण सिद्धप्रज्ञ जी ने अपने विचार व्यक्त किये।
शिक्षा निदेशक श्री मती लीला, प्रकाश भंसाली, बजरंग जैन, डॉ. तोमर ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन वेद प्रकाश जी ने किया।