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‘‘भारतीय संस्कृति को बचाने में अणुव्रत सहायक’’ - सरसंघ चालक मोहन भागवत


भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति है। हमारा तेरापंथ से घनिष्ठ संबंध रहा है। जैसे सीमेन्ट और इंट मिलकर एक सेतु का निर्माण करते हैं वैसे भारतीय मूल्य मानकों एवं संस्कृति के संरक्षण प्रसार व परिवर्धन के कार्य में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं तेरापंथ का संबंध है।
हमारे संगठन के मूल तत्वों में एक तत्व है अनुशासन - दोनों ही संगठनों का प्राणतत्व आचरण का सामुहिकता का अनुशासन है। हम विविधता में एकता को स्वीकारते हैं। परिश्रम को बहुत महत्व देते हैं और हमारे चिन्तन, विचार व सोचने का तरीका भी समान है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में हम कहते हैं पहले छोटी-छोटी बातें ठीक करो बड़ी अपने आप ठीक हो जाएगी वैसे ही है - अणुव्रत अर्थात नैतिकता के छोटे-छोटे नियम। अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी की तीन बातें बहुत प्रषंसनीय है। उनका मानना था कि हम सब एक हैं और इसी दृश्टि में उन्होंने विविधता को मान्य करते हुए एकता के ऐतिहासिक प्रयास किये। एक भव्य उच्च लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने अणुव्रत आन्दोलन का न केवल सूत्रपात किया बल्कि अणुव्रत को जीवन में उतारने के लिए कठोर परिश्रम किया।
वह फलीभूत भी हुआ तभी उनकी जन्मसदी पर 100 मुनियों की दीक्षा का प्रत्यक्ष कार्य हुआ। सम्पूर्ण विश्व को विविधता में एकता का संदेश देने के लिए भारतीय संस्कृति के महान सन्त आचार्य तुलसी सबको साथ लेकर चले। अपने अदम्य पुरुषार्थ से उन्होंने यह कठिन कार्य कर दिखाया। आचार्य तुलसी जैसे महापुरुषो की महानता को जीवन में उतारें तभी उनकी जन्मसदी मनाने का महत्व है।

प्रस्तुति: अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़