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जैन तेरापंथ न्यूज़ (E latter)




|| अर्हम् ||

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद्
जैन तेरापंथ न्यूज़
साप्ताहिक न्यूज़लैटर क्र. १/१४-१५, १५ सित.२०१४ से २१ सित.२०१४
: प्रधान संपादक :
अविनाश नाहर
: कार्यकारी संपादक :
महावीर सेमलानी
: सहसंपादक :
संजय वैदमेहता
युवक संघर्षो से न घबराएं : आचार्य महाश्रमण
अभातेयुप स्वर्ण जयंती समारोह पर पूज्यप्रवर ने युवको को आचार संपन्न बनने की दी प्रेरणा
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नई दिल्ली, 17 सितम्बर 2014. अध्यात्म साधना केंद्र, महरौली. गुरुदेव ने आज  अभातेयुप के स्वर्णजयंती अधिवेशन के अंतिम दिवस के अवसर पर समुपस्थित विशाल युवाशक्ति को संबोधित करते हुए फ़रमाया कि आर्हत वाड्मय में कहा गया है - पढमं नाणं तओ दया। मनुष्य के जीवन में ज्ञान का बड़ा महत्व है। अज्ञान जीवन का अभिशाप होता है। अठारह पाप बतलाए गए हैं किन्तु कविवर ने कहा- इन पापों से भी अज्ञान सबसे बड़ा दुःख है। ज्ञान के अभाव में हित अहित का भी आदमी विवेचन नहीं कर पाता। ज्ञान बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ नहीं। इसके साथ आचार भी अच्छा होना चाहिए। ज्ञान का सार आचार है अणुव्रत आचार्य तुलसी की एक अद्वितीय देन है। आचरण का महत्व उपासना से भी अधिक है। अणुव्रत कहता है-तुम किसी की उपासना करो या ना करो लेकिन आचरण अच्छा होना चाहिए। आचरण शून्य उपासना का महत्व नहीं होता। आप किसी भी सम्प्रदाय को मानो अणुव्रत को इसमें एतराज नहीं, शर्त यह है कि आचरण अच्छा हो।
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अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् का स्वर्ण जयंती का कार्यक्रम चल रहा है। किसी भी संस्था के लिए 50 वर्ष का आयुष्य महत्वपूर्ण होता है। और यदि 50 वर्ष विकास के हों तो और भी महत्त्व बढ़ जाता है। युवकों को गुरुदेव ने सफलता का महामंत्र प्रदान करते हुए कहा- युवक संघर्षों से घबराये ना। युवकों में युयुत्सा हो कि संघर्षों से, अपनी वृत्तियों से लड़ सकें। युवकों को विवेक संपन्न होना चाहिए। जोश के साथ होश भी रखें। अन्यथा यौवन गलत रास्ते पे भी जा सकता है। स्वर्णजयंती आत्मालोचन का समय है कि-  1)क्या किया? 2) क्या करना शेष है? 3) और क्या कर सकते थे फिर भी नहीं किया?

गुरुदेव ने कहा कि परिषद् के 50 वर्षों का इतिहास सामने आना चाहिए। सब सदस्य व्यसन मुक्त व नशा मुक्त हो, चरित्र सम्पन्न हो। पदाधिकारी या तो व्यसन-मुक्त हो जाये या पद मुक्त हो जाये। इस अवसर पर अभातेयुप के अनेक निवर्तमान अध्यक्षों ने सहभागिता दर्ज कराई। कोलकाता को श्रेष्ठ परिषद से नवाज़ा गया। तथा 6 वर्षों से लगातार सर्वश्रेष्ठ परिषद् का ख़िताब चेन्नई के पास ही गया। आज पूज्यप्रवर का सानिध्य पा युवाओं का उत्साह व जोश शतगुणित हो गया ।
प्रस्तुति: विनीत मालू, दिव्या जैन.

सम्प्रदायों में रहे परस्पर मैत्री भाव : आचार्य महाश्रमण
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दिल्ली। २० सित.। बौद्ध धर्मगुरु श्री दलाई लामा के निर्देशन में विभिन्न आध्यात्मिक परम्पराओं का सामूहिक संमेलन आज दिल्ली के ग्रैंड हयात होटल में आयोजित हुआ, जिसमे करीब १०३ धर्मगुरु सम्मिलित हुए। इस अवसर पर अपने संबोधन में आचार्य श्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि- आज विभिन्न धर्मों का सम्मलेन हो रहा है और मेरा ऐसा सोचना है कि संप्रदाय अलग अलग है परन्तु सम्प्रदायों में परस्पर मैत्री का भाव रहना चाहिए। संप्रदाय उन्माद को कहीं भी अवसर नहीं मिलना चाहिए। जैसे गाय, कोई गाय काली होती है कोई गाय पीली होती है परन्तु सभी गायों के दूध का असर आप लोगो पर समान होता है। वैसे ही विभिन्न संप्रदाय है, उपासना की पद्धतियाँ अलग अलग हो सकती है किन्तु हम सब धर्मों का मूल आधार अहिंसा, सत्य यह मुझे प्राय: सब समाजों में समान रूप में अनुमानित हो रहे है। हम इन तत्वों का विकास करे। मानवीय मूल्य ईमानदारी, अहिंसा आदि आदि तत्वों का हम प्रसार करे और अपने अपने अनुयायी है उन्हें विशेषतया नशामुक्त रहने का उपदेश दे,  ईमानदारी के रस्ते पर चलने का उपदेश दे और धर्म के पथ पर चलने का, धर्म को अपनाने का उपदेश दे। श्री दलाई लामाजी के सन्दर्भ में आज यहाँ आना हुआ। आचार्य तुलसी से वह बहुत वर्षों पहले जैन विश्व भारती-लाडनू में मिले थे, डायलाग हुआ था, वह भी मुझे याद है, मेरी उनके प्रति और सभी के प्रति मंगलभावना है। प्रस्तुति-मान्या कुण्डलिया, रिषभ जैन, विनीत मालू, दिव्या जैन.
भारत से मांस नहीं अपितु अध्यात्म निर्यात हो: आचार्य श्री महाश्रमण
रोहिणी-दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में जैन संतों ने रखे अपने विचार
Lens Eye - News Portal - भारत से मांस नहीं अध्यात्म निर्यात हो : आचार्य श्री महाश्रमण

नई दिल्ली 16 सितम्बर, 2014 : विश्व मैत्री एवं राष्ट्रीय क्षमापना दिवस का भव्य आयोजन जैन महासभा के तत्ववाधान में जापानी पार्क रोहिणी में मनाया गया। धर्म संसद के प्रभावक मंच पर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमणजी स्थानकवासी परम्परा के आचार्य श्री  शिवमुनि जी महाराज, मूर्तिपूजक सप्रदाय के आचार्य अभयदेव सूरी, एवं दिगम्बर संप्रदाय के मुनि श्री तरुण सागर जी उपस्थित थे। इस धर्म संसद में जैन एकता, विश्व मैत्री एवं अहिंसा विशयक सृजनात्मक चिंतन मंथन से नवनीत निकलकर आया और कुछ महत्वपूर्ण उद्घोषणा हुई। अहिंसा के व्यापक प्रसार के साथा अनन्त चतुर्दर्शी के पश्चात प्रथम रविवार केा ‘‘विश्वमैत्री दिवस ’’ इंटरनेशनल फोरगिवनेस डे एवं मनाया जायेगा इस हेतु भारत सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को ज्ञापन देकर आवशयक कार्यावाही की जायेगी।

अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि जिन्होंने राग द्वेश व भय पर विजय प्राप्त कर ली वह जिन जिन भगवान द्वारा प्रवर्तित जैन धर्म के सभी आचार्यों सन्तों का एक मंच पर संगम अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। आज का क्षमापना दिवस भी अद्भूत है। क्षमा के आधार पर विश्वमैत्री की स्थापना हो सकती है। हम सब में मैत्री बनी रहे, जैन विद्या को, जैन शासन के खजाने को, अगाध ज्ञान संपदा को आगे बढ़ाये, भारत की संत संपदा सौभाग्य की बात है। भारत से मांस का नहीं , हम भारत से अध्यात्म का निर्यात करें ।

आचार्य डा. शिवमुनि जी महाराज ने कहा जैन धर्म सर्वोच्च धर्म हैं। यह भारत देश महावीर, गांधी, राम रहीम, नानक का देश है। हम संस्कारों की रक्षा करें । आचार्य श्री अभयदेव सूरी ने कहा कि भगवान महावीर की अहिंसा क्षमा एवं मैत्री को अपना कर समग्र विश्व अपना कल्याण करे। प्रस्तुति- जैन तेरापंथ न्यूज़ दिल्ली टीम



फोटो गैलेरी
अभातेयुप स्वर्ण जयंती युवा रैली
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