30 - 31 अक्टूबर दिल्ली में परम श्रद्धेय आचार्यवर की पावन सन्निधि
में वर्धमान समवसरण में ज्ञानशाला स्नातक प्रशिक्षक दीक्षांत समारोह व ज्ञानशाला
प्रशीक्षक सम्मेलन का आयोजन समारोह का आयोजन
हुआ।जिसमें 22 में 20 अंचलों से 357 प्रशिक्षको ने भाग
लिया।
ज्ञानशाला स्नातक
प्रशिक्षक दीक्षांत समारोह 2009 से 2012 के मध्य जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा
ज्ञानशाला प्रकोष्ठ द्वारा नियोजित व संचालित त्रिवार्षिक ज्ञानशाला प्रशिक्षक
परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 397 प्रशिक्षकों को डिग्री व स्मृति चिन्ह वितरित किए गए। समुपस्थित प्रशिक्षकों को ज्ञानशाला के राष्ट्रिय संयोजक श्री सोहनराज चोपड़ा, वरिष्ठ
प्रशिक्षक श्री डालमचंद नोलखा, कार्यक्रम संयोजक श्री महेंद्र
कोचर, श्री गोविंद बाफना, श्री जसराज
बुरड़ के हाथों प्रदान किया गया। मुंबई ज्ञानशाला ने गीत का संगान करते हुए इसकी
महत्ता को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया। राष्ट्रिय संयोजक श्री सोहनराज चोपड़ा
ने अपनी प्रस्तुति दी।

मंत्री मुनि श्री ने अपने
वक्तव्य में कहा – प्रशिक्षक प्रतिदिन श्रुत सामायिक करे। इसके माध्यम से
स्वाध्याय का क्रम सुंदर रहेगा । प्रशिक्षक यदि ज्ञान संपन्न होंगे तो वे बच्चों को
ज्ञान दे सकेंगे।आचार्यवर अपने व्यस्ततम समय में इतना समय प्रदान करवाया, इससे हम
सब यह समझ सकते है की आपके मन में ज्ञानशाला के प्रति कितना आशीर्वाद है।

परम श्रद्धेय आचार्यवर ने अपने
प्रेरक उद्बोधन में कहा – संस्कार निर्माण के लिए ज्ञानशाला बहुत महत्वपूर्ण है। बालपीढ़ी
के लिए मैं इसे उपयोगी उपक्रम मानता हूँ। कितने कितने प्रशिक्षक एवं प्रशिक्षिकाएं
ज्ञानशाला मे प्रशिक्षण देते है। प्रशिक्षक स्वयं प्रशिक्षित रहे, यह अपेक्षा
है। मुनि उदितकुमार जी ज्ञानशाला के कार्य संभालने में संलग्न है। मुनि हिमांशु कुमार
जी इस कार्य में सहयोगी है। ज्ञानशाला का सतत विकाश होता रहे।


फोटो व रिपोर्ट साभार : कार्यक्रम
संयोजक महेंद्र कोचर, बबलू, JTN टीम दिल्ली
प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़