25 अक्टूबर ! आज स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने आचार्य तुलसी को अपनी श्रद्धाजंली देते हुए अपने वक्तव्य के माध्यम से कहा कि हजारों बुझे हुए दीपक एक दीपक नही जला सकते लेकिन एक जला हुआ प्रकाशमय दीपक हजारों दीपक को जला सकता है। आचार्य तुलसी एक ऐसा ही महादीप है जिसने हर दीप में अपनी प्रज्ञा, साधना से करोड़ो बुझे हुए दीपकों को प्रज्वलित कर दिया। दिवाली की रात गयी है करोड़ो-2 रूपये बरबाद किए। दीपक जले और बुझ गए, कितना प्रदुषण फैला। करोड़ो दीप थोड़ी देर के लिए जले और सदा के लिए बुझ गए परन्तु एक ऐसा दीप जला जो सदा के लिए जला रह गया। Guru is never gone, guru is always on.
महापुरुष कभी जाया नही करते हमेशा विद्यमान रहते है। सिर्फ चौला ही बदलता है कभी आचार्य महाप्रज्ञ के रूप में कभी महाश्रमण के रूप में। दीप अपने लिए नही दुसरे के लिए जलता है प्रकाश देता है। जलते तो हम भी है पर दूसरो से दुसरो के लिए नही। जो दूसरो के लिए जलते हैं वो आचार्य तुलसी महाश्रमण बनते है। जलें दूसरों के लिए दूसरों से नहीं। संतों के हर पल दिवाली रहती है। कहा जाता है सदा दिवाली संत की चारो काल बसंत की। जिस दिन जीवन में नशा इत्यादि बुराइयों का अंत होगा उस दिन हर दिन दिवाली होगा। बागो में बहार आती है जब बसंत आता है लेकिन जीवन में बहार आती है जब संत आता है। इस तुलसी नाम के संत ने सबके जीवन में बसंत ला दिया। ऐसे बसंत को सब याद करते है।
स्वामी जी ने आगे कहा कि मेरा मानना है भारत इसलिए महान है क्यूंकि इसके पास ऐसे संत है ऐसा दिव्यता का भण्डार है। यहाँ हिमालय सी ऊँचाई, सागर सी गहराई और गंगा सी पवित्रता रखने वाले संत विद्यमान है। तुलसी नाम अदभुत है। तुलसी ने इतने विरोधो के बावजूद समाज में खड़े होकर कीर्तिमान स्थापित किये। सिर्फ resolution नही revolution के समान खड़े हुए। पूरे समाज को दिशा दी। ऐसे संतो की वजह से हमारा समाज जिन्दा है। आचार्य तुलसी ने बड़े बड़े प्रोजेक्टस खड़े किए। सिर्फ प्रोजेक्ट खड़े नही किये खुद को एक प्रोजेक्ट बनाया। तुलसी जी के आदर्शो पर चलकर युवा पीढ़ी खुद का निर्माण करे। अपने आप को देखे तो सोचे किसी और का सर्टिफिकेट नही चाहिए स्वयं के सर्टिफिकेट बने।
अपने मन से सोच से दुनिया का स्वयं निर्माण होगा। तुलसी जी कहते थे बदलेगा दिल बदलेगी दुनिया। दिल तभी बदलता है जब ऐसे महापुरुषो की शिक्षा हो। इस दुनिया में ऐसे महापुरुषों की शिक्षा दीक्षा की जरूरत है। आचार्य तुलसी ने ट्रांसफॉर्मेशन की बात की। ऐसे सूत्र दिए जिसने पुरे समाज को बदला। साथ साथ चलने से ऐसे समाज का निर्माण होता है जिससे सबका विकास हो। ऐसे संत किसी समाज के नही बल्कि विश्व संपदा होते है। आचार्य तुलसी विश्व संत है। हम उनके विचारो का प्रचार प्रसार करे। ये एक शुरुआत है शताब्दी का अंत नही है। ऐसे महामानव को श्रद्धांजलि भावांजली।
महापुरुष कभी जाया नही करते हमेशा विद्यमान रहते है। सिर्फ चौला ही बदलता है कभी आचार्य महाप्रज्ञ के रूप में कभी महाश्रमण के रूप में। दीप अपने लिए नही दुसरे के लिए जलता है प्रकाश देता है। जलते तो हम भी है पर दूसरो से दुसरो के लिए नही। जो दूसरो के लिए जलते हैं वो आचार्य तुलसी महाश्रमण बनते है। जलें दूसरों के लिए दूसरों से नहीं। संतों के हर पल दिवाली रहती है। कहा जाता है सदा दिवाली संत की चारो काल बसंत की। जिस दिन जीवन में नशा इत्यादि बुराइयों का अंत होगा उस दिन हर दिन दिवाली होगा। बागो में बहार आती है जब बसंत आता है लेकिन जीवन में बहार आती है जब संत आता है। इस तुलसी नाम के संत ने सबके जीवन में बसंत ला दिया। ऐसे बसंत को सब याद करते है।
स्वामी जी ने आगे कहा कि मेरा मानना है भारत इसलिए महान है क्यूंकि इसके पास ऐसे संत है ऐसा दिव्यता का भण्डार है। यहाँ हिमालय सी ऊँचाई, सागर सी गहराई और गंगा सी पवित्रता रखने वाले संत विद्यमान है। तुलसी नाम अदभुत है। तुलसी ने इतने विरोधो के बावजूद समाज में खड़े होकर कीर्तिमान स्थापित किये। सिर्फ resolution नही revolution के समान खड़े हुए। पूरे समाज को दिशा दी। ऐसे संतो की वजह से हमारा समाज जिन्दा है। आचार्य तुलसी ने बड़े बड़े प्रोजेक्टस खड़े किए। सिर्फ प्रोजेक्ट खड़े नही किये खुद को एक प्रोजेक्ट बनाया। तुलसी जी के आदर्शो पर चलकर युवा पीढ़ी खुद का निर्माण करे। अपने आप को देखे तो सोचे किसी और का सर्टिफिकेट नही चाहिए स्वयं के सर्टिफिकेट बने।
अपने मन से सोच से दुनिया का स्वयं निर्माण होगा। तुलसी जी कहते थे बदलेगा दिल बदलेगी दुनिया। दिल तभी बदलता है जब ऐसे महापुरुषो की शिक्षा हो। इस दुनिया में ऐसे महापुरुषों की शिक्षा दीक्षा की जरूरत है। आचार्य तुलसी ने ट्रांसफॉर्मेशन की बात की। ऐसे सूत्र दिए जिसने पुरे समाज को बदला। साथ साथ चलने से ऐसे समाज का निर्माण होता है जिससे सबका विकास हो। ऐसे संत किसी समाज के नही बल्कि विश्व संपदा होते है। आचार्य तुलसी विश्व संत है। हम उनके विचारो का प्रचार प्रसार करे। ये एक शुरुआत है शताब्दी का अंत नही है। ऐसे महामानव को श्रद्धांजलि भावांजली।