अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत अनुशासन दिवस पर सभा को संबोधित करते हुए साध्वी श्री काव्यलताजी ने फरमाया - व्यक्तित्व को निखारने और संवारने के लिए जरुरी है अनुशासित जीवन शैली। जीवन कि सफलता का राज है अनुशासन जीवन का आधार स्तंभ है अनुशासन । अनुशासन का अर्थ स्वयं पर शासन ।
आचार्य तुलसी का अमर उद्दघोष था - निज पर शासन,फिर अनुशासन आज के युग कि बहुत बड़ी समस्या है टूटते परिवार,बिखरता समाज । इसके पीछे एक ही कारण है व्यक्ति दुसरो को बदलना चाहता है स्वयं नहीं बदलता । दूसरों को दिशा निर्देश देना व्यक्ति की आदत बन चुकी पर स्वयं दिशा हीन बन रहा। इस विषम स्थिति में व्यक्ति व्यक्ति के बीच दूरियां बढ़ रही है विश्वास उठता जा रहा है। अत: जरुरी है व्यक्ति स्वयं पर अनुशासन करना सीखे,स्वयं के आचरण को सुधारे।
कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी सुरभीप्रभाजी साध्वी वैभवयशाजी के सुमधुर संगान से हुआ, साध्वी वैभवयशा जी ने विषय पर सुन्दर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वी ज्योतियशा जी ने किया। आज के कार्यक्रम में पन्नालालजी पगारिया की धर्मपत्नी श्री मति लक्ष्मी देवी पगारिया ने सोलह की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
जैतस से प्रस्तुति करुणा कोठारी न्यूज़ साभार हुबली से महावीर कोठारी, मुकेश जैन 1-10-2014
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Sadhvi Shri Kavyalata ji at Hubli During Anuvrat Udhbodhan Saptah |
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Anuvrat Udbodhan Saptah organised by Hubli Terapanthi Sabha, Anuvrat Samiti. |