फ्यूरेक का राष्ट्रीय सम्मेलन
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Acharya Mahashraman with Imam Hajarat Maulana Saiyad Arshad Madani during FUREC national convention |
नई दिल्ली, 9 अक्टूबबर, 2014।
अध्यात्म साधना केन्द्र के वर्धमान समवसरण में अणुव्रत अनुषास्ता आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में ‘‘फाउण्डेषन फाॅर अण्डरस्टेडिंग रिलिजियन्स एण्ड इनलाईटेड सिटीजनषिप’’ (फ्यूरेक) का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रमुख ईमाम हजरत मौलाना सैयद अरषद मदानी साहब विषेश रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि अहिंसा मैत्री षाष्वत व प्राचीन धर्म है जो हमेषा था और हमेषा रहेगा। भारत एक ऐसा देष है जहां विभिन्न धर्म, भाशा के लोग रहते हैं। भारत केवल कृशि भूमि ही नहीं ऋशी भूमि भी है। भारत में अनेक अच्छाईयां है तो कुछ कमियां है वह है अनैतिकता, भ्रश्टाचार।
आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि भारत के विकास के लिए भौतिक विकास जरूरी है उसके र्लिए आिर्थक विकास जरूरी है। आर्थिक भौतिक विकास के साथ नैतिक, षैक्षिक, आध्यात्मिक विकास होना अपेक्षित है।
आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि जिस तरह गायों का रंग अलग-अलग होते हुए दुध सफेद होता है उसी तरह मनुश्य की उपासना पद्धति अलग-अलग हो सकती है किंतु सभी धर्म अहिंसा, मैत्री, नैतिकता की बात बताते हैं।
फ्यूरेक कार्यक्रम के विषिश्ट अतिथि के रूप में मुख्य ईमाम हजरत मौलाना षैयद अरषद महानी साहब ने कहा कि मुझे यहां आकर बहुत प्रसन्नता है कि आज मैं यहां आपके बीच उपस्थित हुआ हूं और यहां पर धर्म नैतिकता, षिक्षा की बात बताई जा रही है। नषा व्यक्ति की बुद्धि को नश्ट कर देता है, हम सभी एक मुल्क के हैं और सभी धर्मों में अच्छाईयां है। उन्होंने कहा कि आज षिक्षा के क्षेत्र में भी नैतिकता, भाईचारे की षिक्षा देने की आवष्यकता है।
इस दौरान मंत्री मुनि सुमेरमल स्वामी, साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने अपने विचार व्यक्त किये।
प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल जैन पटावरी ने स्वागत वक्तव्य दिया। ‘फ्यूरेक’ के सह समन्वयक गौतम सेठिया, सुधामही रघुनाथन ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिेनेष कुमार ने किया।
- प्रेशक - डाॅ. कुसुम लूणिया