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धर्म पर पूर्ण आस्था हो तो देवता भी उसे नमस्कार करते हैं - मंत्री मुनि सुमेरमल जी

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर ! कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए मंत्री मुनि श्री ने फ़रमाया कि जीवन वह सार्थक है जो स्वयं ग्रहण करके दूसरों को दे सके। ग्रहण करने वाला अच्छी बात को जितनी ज्यादा फैलाये वह समाज के लिए कल्याणकारी होता है। गलत काम को फ़ैलायें नहीं उसे दबा कर उसका शोधन करें। उस व्यक्ति का जीवन सफल है जो अच्छी बातों को जीवन में अपना कर उन्हें समाज में फैलता है। व्यक्ति की संकल्प शक्ति मजबूत हो। अपनी शक्ति को अच्छे कार्यों के लिए नियोजित कर सके और आगे बढा सके। सुनकर सिर्फ कह दिया कि कि करूँगा और थोड़ी सी कठिनाई आई तो छोड़ दिया, यह संकल्प शक्ति की कमजोरी है। फिर वह व्यक्ति आगे प्रगति पथ पर नहीं बढ़ पायेगा।

मुनि प्रवर ने धर्म को जीवन का अनिवार्य अंग बताते हुए फ़रमाया कि धर्म मेरी आत्मा है उसे कहाँ छोडूँ । आदमी अगर संकल्प का धनी हो और धर्म पर पूर्ण आस्था हो तो देवता भी उसे नमस्कार करते हैं। धार्मिक बनें, तत्वज्ञ श्रावक बनें। दृढ संकल्पी बनें और यह सोचें कि इस कलयुग में भी तेरापंथ जैसा संघ मिला है, महाश्रमण जी जैसे गुरु मिले हैं, हमारा भाग्य है। तो हम संकल्प द्वारा मजबूत नींव लगा कर जीवन को धन्य बनायें।

सूरत महिला मंडल ने मुनि प्रवर को संकल्प कलश भेंट किया। भीलवाड़ा के गायक श्री संजय भानावत की पुस्तक "गाँऊ तुलसी! मैं तेरे गीत " का आज विमोचन हुआ। एक प्रति पूज्यप्रवर को भेंट की तथा एक प्रति वर्धमान समवसरण में मंत्री मुनि को भेंट की। तेरापंथ जैन विद्यालय, चेन्नई के विद्यार्थियों द्वारा सुन्दर प्रस्तुति हुई। तथा विद्यार्थियों को मंत्री मुनि का विशेष सानिध्य भी प्राप्त हुआ। ट्रस्टी व शिक्षकों द्वारा अपने विचार रखे गए। 688 अणुव्रत संकल्प पत्र मुनि श्री को भेंट किये गए। कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।

प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़