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Discourse by Mantri Muni Shri Sumermalji |
अध्यात्म साधना केन्द्र के वर्धमान समवसरण में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मंत्री मुनि सुमेरमल स्वामी ने कहा कि जन्म-मरण ही संसार है। हर धार्मिक व्यक्ति कोषिष करता है कि जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा मिले।
मंत्री मुनि ने कहा कि व्यक्ति व्यवहार में रहता हुआ सारी प्रक्रिया निभाता है उसे स्वार्थ में प्रेम नजर आता है पर वह यह सोचे कि उसे व्यवहार क्षेत्र में मिला क्या? संसार की प्रक्रिया स्वार्थ के साथ जुड़ी हुई है उसमें उलझना नहीं चाहिए। व्यक्ति को मुक्ति की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जो मोह-माया से दूर रहता है वह आत्म उन्नय के क्षेत्र में आगे बढ़ता है।
इस अवसर पर बैंगलोर से आए ज्ञानषाला के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति दी। सिलीगुड़ी से आए संघ ने गुरुदर्षन कर गीतिका के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेषकुमार ने किया।