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संयम, सादगी वाला व्यक्ति श्रद्धेय बनता है : आचार्य महाश्रमण

Release of Abhinandan granth in pious presence of Acharya Mahashraman
Release function of Abhinandan Granth
अभिनन्दन ग्रन्थ विमोचन कार्यक्रम
नई दिल्ली, 10 अक्टूबबर, 2014।
‘‘जन्म लेना नियति है पूर्वार्जित कर्मों के आधार पर व्यक्ति को किसी न किसी योनि में जन्म होता है और उसमें मनुश्य जन्म लेना भाग्य की बात है। और मनुश्य बनने से भी बड़ी बात है वह जीवन कैसा जीता है। मनुश्य बनना बड़ी बात है पर वह तभी है जब वह मनुश्य बनकर अच्छा, संयम, सादगी व परोपकार का कार्य करता है। आदमी के जीवन में सादगी साधना है तो वह व्यक्ति श्रद्धेय बन जाता है और आत्मा का उत्थान भी कर लेता है।’’ उपरोक्त विचार आचार्यश्री महाश्रमण ने अध्यात्म साधना केन्द्र के वर्धमान समवसरण में ‘अभिनन्दन ग्रंथ’ विमोचन के दौरान व्यक्त किये।

आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि  आदमी के जीवन से अच्छी प्रेरणा मिली है तो ग्रंथ की सार्थकता सिद्ध हो सकती है। घीसूलाल नाहर ने समाज को सेवाएं दी। आदमी सेवा देता है वह खास बात है। नाहर परिवार के सदस्य भी समाज के साथ जुड़े हुए हैं। सेवा दे रहे हैं।  
साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कहा कि गुरु की कृपादृश्टि मिलने से व्यक्ति के भीतर रूपान्तरण घटित होते हैं। रसायन बदलते हैं और दिषा बदल जाती है। वह श्रावक समाज धन्य कोण प्रदान करने वाले आचार्य मिले हैं वह समाज जागृत समाज होता है। 
इस दौरान मुनि राकेषकुमार, मुनि सुमेरमल स्वामी, मुनि सुखलाल, समणी श्रद्धाप्रज्ञा, पूर्व न्यायाधीष जसराज चैपड़ा, श्रीमती मंजु मुथा, सुश्री अल्पा नाहर आदि ने अपनी भावनाएं व्यक्त की। 

प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल जैन पटावरी ने स्वागत वक्तव्य दिया।  
- प्रेशक - डाॅ. कुसुम लूणिया