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"लाल किले की प्राचीर से अहिंसा यात्रा की मंगल शुरुआत"

His Holiness Aachary shri Mahashraman ji on occasion of Starting of Non Violence March from Red Fort, Delhi  
लाल किला, पुरानी दिल्ली, 9 नवम्बर 2014 आर्हत वाड्मय में कहा गया है- "धम्मो मंगल मुक्किठं"। हमारी दुनिया में मंगल की कामना की जाती है। उसके लिए पदार्थों का उपयोग भी किया जाता है। दुनिया में उत्कृष्ट मंगल धर्म होता है। धर्म है-अहिंसा संयम और तप।
हम आज एक मंगलमय यात्रा प्रारंभ करने जा रहे हैं। अहिंसा यात्रा नाम से निर्धारित यह एक लम्बी यात्रा है। मुख्यत: पूर्वांचल, पूर्वोतर भारत- नेपाल भूटान आदि क्षेत्रों की यात्रा करनी है।
आचार्य प्रवर ने यात्रा के तीन उदेश्य बताये-
1) सद्भावना का संप्रसार 2) नैतिकता का प्रचार प्रसार 3) नशा मुक्ति का अभियान
हमारे साथ साध्वी प्रमुखा जी भी यात्री के रूप में हैं, जो साध्वी समाज का संरक्षण करने वाली हैं। मुख्य नियोजिका व अनके संत साध्वियां हमारे साथ हैं। हमारी यात्रा धर्म यात्रा के रूप में हो, यह हमारी कामना है। पीछे मंत्री मुनि आदि साधु साध्वियां भारत के विभिन्न अनेकों क्षेत्रों में यात्रा कर रहे हैं। सब साधू साध्वियां चित्त समाधी में रहें। परस्पर सोहार्द भाव रखें। आत्म निष्ठा संघ निष्ठा आज्ञा निष्ठा और मर्यादा निष्ठा की भावना पुष्ट होती रहे। मैं अहिंसा यात्रा से पूर्व मेरे परम पूजनीय भगवान महावीर का बार बार स्मरण करता हूँ।

अनंत अनंत श्रद्धा के साथ भगवान महावीर को नमस्कार करता हूँ। हमारे तेरापंथ समाज के प्रथम आचार्य भिक्षु  का स्मरण करता हूँ । इस यात्रा के प्रारंभ में हमारी आचार्य परम्परा को वंदन करता हूँ। आचार्य श्री तुलसी को समरण करता हूँ, उन्होंने कहा था ऊपर जाकर भी देखूंगा। वे देखे और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो ऐसी कामना करता हूँ। परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ जी ने दूर की यात्रा करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था जब भी यात्रा हो पूर्वांचल की ओर हो। मैं उनका स्मरण करता हूँ।
हम मंत्री मुनि जी को साथ नहीं ले जा रहे हैं। इतिहास की सहजतया पुनरावृति हो रही है। जब आचार्य श्री तुलसी ने पूर्वांचल की यात्रा की थी तब मंत्री मुनि मगनमल जी स्वामी ने रवाना किया था, आज मंत्री मुनि श्री सुमेरमल जी स्वामी हमे रवाना कर रहे है। हम नेपाल जा रहे है, पुरखो की भूमि में पुनः जाने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

रत्नाधिक संतो को चरण वंदना के क्रम में आचार्य प्रवर ने राकेश मुनि, पानमल जी स्वामी किशन लाल जी, महेन्द्र मुनि, धर्मरूचि जी, विजय मुनि, कमल मुनि, उदित मुनि की सांकेतिक चरण वंदना की । और उन सभी के प्रतीक के रूप में मंत्री मुनि को झुक के विधि पूर्वक वंदना की। बाकी सभी साधू साध्वियों के लिए कहा कि सभी को वात्सल्यता से निहार रहा हूँ। हमारे बहिर विहारी रत्नाधिक संतों को चरण वन्दना करता हूँ । आचार्य प्रवर ने कहा मुनि कुमार श्रमण को अहिंसा यात्रा प्रवक्ता के रूप में काम करना है। श्रावक समाज तो हमारे पास आता ही है, अब हमें दूर क्षेत्रों में जाकर श्रावक समाज से संपर्क करना है। इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि लाल किले की प्राचीर से 40 साल बाद कोई कार्यक्रम हुआ है। कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन मुनि कुमारश्रमण जी ने किया।

मंगल कामना श्रद्धेय मंत्री मुनि : आज आचार्य प्रवर विदेश यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे है। हम इतिहास पढ़ते है, जैन आचार्य नेपाल गये थे किसी विशेष परिस्थिति के लिए। आज एक नया रूप हो रहा है, यह अवसर है आचार्य श्री महाश्रमण जी बड़े संगठन के साथ अहिंसा यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे है, नेतिकता सद्भावना,भाई चारे का प्रसार करेंगे। यह अहिंसा यात्रा सिर्फ जैन लोगों की नहीं सबके लिए एक स्वर्णिम अवसर है।
एक उमंग के साथ यात्रा प्रारंभ रहे, आपकी यात्रा शत प्रतिशत सफल हो। आप स्वस्थ रहें, साथ चलने वाले सहयात्री वे सभी भी स्वस्थ रहे ऐसी मंगल कामना करता हूँ। सोचता हु यह यात्रा इस रूप में हो की देश ही नही विदेश तक इसकी गूंज हो। मानव को अहिंसा का मार्ग मिले। भाई चारे के साथ बढे। पुरे विश्व का मानव समाज अहिंसा यात्रा से लाभान्वित होगा। इस प्रकार जीवन यापन करना इसका क्रम बनेगा।

मै भी सहयात्री हूँ यह मानकर चलता हूँ। जहाँ-जहाँ आचार्य श्री पधारेंगे उनके साथ पुरे संघ की मंगल कामना साथ रहेगी। आप प्रस्थान कर रहे है किन्तु जब वापिस आयेंगे तो बहुत बड़ी समृधि के साथ आप पधारेंगे। धर्म संघ को बहुत बड़ा संबल प्राप्त होगा। मंगल कामना है आपका पूरा संघ निरामयता के साथ आपके इंगित की आराधना करे। आह्वान करता हूँ शाशन देव भी आचार्य वर के साथ साथ मिशन को सफल करे।


स्वामी चिदानंद सरस्वती जी का सन्देश यात्राएं कई तरह की होती है पर लगता है यात्रा दिग्विजय की नहीं दिलविजय की होती है। एक वो यात्रा जिसमे लाल किले तक पहुचने के लिए लोगो ने आक्रमण किये, पर दिल आकर्षित हो उसके लिए है यह अहिंसा यात्रा यह विकास की यात्रा बाहर की नहीं भीतर की है, यह यात्रा प्रसाद पैदा करने के लिए है बटोरना हमेशा विषाद पैदा करता है
इस लाल किले से प्रधानमंत्री जी ने नारा दिया "मेक इन इंडिया" यह यात्रा "मेक इंडिया" के लिए है। स्वदेशी चीजे बने यह आवश्यक है पर स्वदेश की भवन भी जागनी चाहिए। यह चौक बहुत ही ऐतिहासिक बनने जा रहा है। इस चौक से यात्रा प्रारम्भ होकर चौक चौक तक जायेगी।
नेपाल और भारत अलग अलग नहीं है उन्हें बांटा नहीं जा सकता। शंकराचार्यजी की कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा में कोई कोना नहीं था, वेसे ही ये यात्रा भी देश को एक सन्देश देगी क्लीन इंडिया ग्रीन इंडिया। देश के विकास के लिए सैन्य शक्ति नहीं संत शक्ति की जरुरत है जो अपने लिए नहीं जीते महातपस्वी का अर्थ है जो श्रमशील सहनशील हो और जब कोई महातपस्वी कोई अभियान प्रारम्भ करता है तो उसकी सफलता निश्चित है।
नेपाल के उपराष्ट्रपति श्री परमानंद झा का सन्देश महात्मा बुद्ध की धरती नेपाल से भगवन महावीर की धरती पर आकर अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है जिस प्रकार भारत भूमि धर्म भूमि है उसी प्रकार नेपाल की भूमि भी धार्मिक है।
भगवान् बुद्ध के साथ मल्लिनाथ और अरनाथ की भूमि भी है नेपाल की । महावीर अहिंसा, मैत्री व करूणा के उदगाता थे। उन्होंने अहिंसा के साथ सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य आदी पांच महाव्रत बनाये। आचार्य श्री महाश्रमण जी आप सिर्फ तेरापंथ के आचार्य ही नहीं है बल्कि जन-जन को प्रेरित कर रहे है। ईमानदारी, नशामुक्ति का सन्देश आप जन-जन तक जाकर दे रहे है। आज आप अहिंसा यात्रा का शुभारम्भ कर रहे है जो भारत की धरती को स्पर्श कर नेपाल भूटान पहुचेगी।


मुझे ऐसे काम से जुड़ने का मौका मिला।संत महात्मा का जहाँ आगमन होता है वह नविन विकास और अध्यात्म की ओर देश को आगे बढ़ता है। में मंगलकामना करता हूँ की आपका आगमन मंगलकारी बनेगा।
आपकी पवित्र एवं विशाल अहिंसा यात्रा के लिए मंगल कामना।
मुझे यहाँ आने का अहिंसा यात्रा के कार्यक्रम से जुड़ने का मौका मिला उसके लिए आभार।
Swami Chidanand Sraswati with Aachary Shri Mahashraman Ji 

Honorable Vice President of Nepal Shri Parmanand Jha, with H.H. Aachary Shri Mahashraman Ji



Swami Chidanand Saraswati & Vice President of Nepal Shri Paramanand Jha at Starting Ceremony of Non Violence March (Ahimsa Yatra)