
साध्वी श्री साधना श्री जी ने मंगल भावना प्रस्तुत करते हुए फरमाया आचार्य श्री महाश्रमण जी भाग्य व पुरुषार्थ की जीवित प्रतिमा है, आपकी विकास यात्रा आचार्य श्री तुलसी के पवित्र आभावलय में प्रारंभ हुई और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने आपकी अर्हताओं को पहचान कर तेरापंथ के सर्वोच्च पद पर आसीन किया । पद की गरिमा को गौरव वृद्धिगत करते हुए अनेक आलौकिक कार्य किए और अब तीर्थंकरो की पावन भूमि पर पधार रहे है । सदभावना, नैतिकता एवं नशा मुक्ति इन तीनों उद्देश्य के साथ आज आचार्य प्रवर दीर्घ यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे है मैं मंगलकामना करती हू आपकी यात्रा मंगलमय हो नए नए कीर्तिस्तम्भो की स्थापना हो ।
साध्वी विमलप्रज्ञा जी ने सुमधुर स्वरों से वातावरण को सुरम्य बनाते हुए मंगलकामना की कि आचार्य प्रवर एवं पूरा सहयात्री संघ निरामय रहते हुए निर्विघ्न यात्रा संपन्न करे शीघ्र ही हमें दर्शन दे
साध्वी सन्मति श्री जी ने कहा विहार की पवित्र भूमि और मेरी कर्म भूमि पर पूज्य प्रवर पधार रहे है अतः में यही से मंगलकामना प्रस्तुत कर रही हूँ।


जप अनुष्ठान में तेरापंथ भवन में 450 श्रावक श्राविकाओं और तप अनुष्ठान में 1077 प्रत्यख्यान किया और अपनी सहभागिता निभाई.
जैन तेरापंथ न्यूज़ ब्यौरों से महावीर कोठारी फ़ोटो साभार प्रीतम हिरण 9/11/14