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अंधकार से प्रकाश की ओर आगे बढ़ें : आचार्य श्री महाश्रमण

28 नवम्बर 2014, हनुमान आश्रम, श्रीधाम वृन्दावन


अणुव्रत अनुशास्ता परम पुज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी ने वृन्दावन प्रवास के दूसरे दिन अपने प्रात:कालीन प्रवचन में फरमाया के दो शब्द आते हैं, अनुश्रोत और प्रतिश्रोत। श्रोत के साथ बहना अनुश्रोत गामिता है और प्रवाह के प्रतिकुल चलना प्रतिश्रोत गामिता हो जाती है। प्रवाह के साथ चलना आसान है और प्रवाह के प्रतिकुल चलना कठिन होता है। हम जीवन में भी देखे अनुश्रोत और प्रतिश्रोत दोनों स्थितियां होती है। भोगों का जीवन जीना अनुश्रोत गामिता है। आम जनता भोग प्रधान होती है, तो भोगों में रहना अनुश्रोत गामिता और त्याग का जीवन जीना प्रतिश्रोत गामिता हो जाती है। आदमी पहले भोग भोगता है फिर भोग मानो आदमी को भोग लेते है।


भोग क्या भोगे भोगों ने हमें भोग लिया, तप क्या तपा हम स्वयं तप्त हो गए। काल क्या बिता एक दृष्टि से हम स्वयं ही बीत गए। तृष्णा जीर्ण नहीं हुई पर हम स्वयं जीर्ण हो गए। आदमी के मन में यह अनुश्रोत का, तृष्णा का भाव रहता है। शरीर बल गया, चेहरे पर झुरियां पड़ गई, मुख दंत विहीन हो गया, शरीर इतना कमजोर हो गया की वृद्ध आदमी डंडे के सहारे के बिना चल नहीं पता। इतना हो जाने के बावजूद वह आशा-लालसा में रह जाते है। एक साधु इतनी कठिन साधना करता है ऊपर से सूर्य का आतप तप रहा है उसे सहन कर रहा है, चारों और अग्नि जला लेता है पंचाग्नि तप तपता है। गर्मी के मौसम में और सर्दी के मौसम में निर्वस्त्र होकर रहता है। सर्दी को सहन करता है। भोजन बनाता नहीं है भिक्षा से ग्रहण करता है। पेड़ के नीचे रह जाता है, पेड़ के नीचे वास करता है।यही प्रतिश्रोत गमिता है।

वृन्दावन के प्रमुख संत महामंडेल्श्वर श्री नवलगिरिजी महाराज, डॉ. स्वामी आदिभानंद जी महाराज, बाबा हरिकोल जी महाराज, श्री बिहारीलाल जी वरिष्ठ (अध्यक्ष ब्राहम्ण समाज), आश्रम संघ के मंत्री स्वामी सुरेशानंद जी महाराज, स्वामी देवस्वरुप जी महाराज, नागरीदास जी महाराज, आश्रम प्रमुख संघ के अध्यक्ष महामंडेलश्वर स्वामी श्री परमानन्द जी महाराज आदि संतो ने संत सम्मेलन के दौरान आचार्य श्री की अहिंसा यात्रा के लक्ष्यों- सदभावना, नैतिकता, नशामुक्ति आदि में जुड़ने की बात कहीं व सभी संतों ने इस यात्रा की सराहना करते हुए आज के इस युग में इस यात्रा की बहुत आवश्यकता बताते हुए कहा हम सब संत इस यात्रा के मिशन के साथ दिल से जुड़ेंगे व इसको आगे बढ़ाने की बात कही।

सभी संतों ने आचार्य श्री से कहा- आप हमें आदेश प्रदान करे हम सब आपके इस मिशन में सहभागी बनेंगे व उस आन्दोलन को आगे बढ़ाएंगे। संचालन विहिप नगर अध्यक्ष श्री सौरभ गौड़ ने किया।