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दिल्ली से पधारी साध्वी निर्वाणश्री जी का शांति निकेतन, गंगाशहर स्वागत अभिनन्दन


  दिनांक १८.१२.२०१४, शांति निकेतन, गंगाशहर, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा आज शांति निकेतन सेवाकेंद्र में दिल्ली में परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ में चातुर्मास संपन्न कर यहाँ पधारी विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्रीजी का स्वागत अभिनन्दन किया गया. सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री चंद्रकलाजी के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में साध्वी निर्वाणश्री जी ने फ़रमाया कि गुरुकुल वास में रहना अपने आप में विरल सौभाग्य की बात होती है, इस बार के दिल्ली चातुर्मास में अनेकानेक कीर्तिमानी कार्यक्रम आयोजित हुए.
इस बार ना केवल तेरापंथी, ना केवल जैनी अपितु समग्र जन मानस में एक विलक्षण आकर्षण इस चातुर्मास को लेकर बना. आज गंगाशहर पहुँच कर ऐसा लग रहा है कि दिल्ली से आचार्यप्रवर से मंगल पाठ सुनकर चले तो यहाँ आने पर एक इच्छित मंजिल तक पहुँच गये है. और सबसे बड़ी बात यहाँ गंगाशहर आने के लिए हमारा ही नहीं बल्कि हर एक साधू साध्वी और श्रावक श्राविका का आकर्षण बना रहता क्यूंकि यह तो शक्ति पीठ है गुरुदेव श्री तुलसी की पावन धरा है. यहाँ आकर हर कोई अपने भीतर एक नई उर्झा और नई स्फूर्ति का अनुभव करने लगता है.

इस अवसर पर सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका द्वय साध्वीश्री चन्द्रकलाजी एवं साध्वीश्री पुण्यप्रभाजी ने विदुषी साध्वी के केंद्र से चलकर यहाँ गंगाशहर पधारने पर स्वागत अभिनन्दन कर वहाँ के समाचारों को जानने कि उत्सुकता व्यक्त की. सेवाकेंद्र के सेवादायी साध्वी समुदाय और सेवाग्राही वृद्ध साध्वी समुदाय ने अपनी भावना गीतिका के रूप में प्रस्तुत की.

इस स्वागत अभिनन्दन के कार्यक्रम में साध्वी योगक्षेम प्रभा, साध्वी प्रतिभाश्री, साध्वी ज्ञानवतीजी सहित किशन बैद, संतोष बोथरा, विजेंद्र छाजेड, भंवरलाल डाकलिया आदि ने अपने विचार व्यक्त किये. इस कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के सहमंत्री धर्मेन्द्र डाकलिया ने किया.

यहाँ यह उलेखनीय है कि साध्वी निर्वाणश्रीजी ने पीछले माह यानि नवंबर की 9 तारीक को दिल्ली से प्रस्थान किया और मात्र 35-36 दिनों में लगभग 500 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा नंगे पांव पांव चलकर तय की है और बीकानेर पहुंचे है, ऐसा विरल उदहारण सिर्फ और सिर्फ जैन साधू साध्वियों में ही देखने कों मिलता है.