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स्वयं के द्वारा स्वयं को देखना यही चित्त समाधि है - शासन श्री साध्वी गुलाबकुमारी जी

16.12.2014, जोधपुर, हमे हमारे जीवन को देखना है। स्वयं के द्वारा स्वयं को देखना है। कहने वाला सही कहता है, मेरे सुनने में हो सकता है गलती हुई हो, चित्त समाधि में ये बाते महत्त्वपूर्ण है। ये उद्बोधन शासन श्री साध्वी गुलाब कुमारीजी ने तेरापंथ महिला मंडल जोधपुर द्वारा आयोजित चित्त समाधि शिविर में दिया।
साध्वी भानुकुमारीजी ने इस अवसर पर कहा की हमारे मन के सूक्ष्म परमाणु अनुप्रेक्षा के द्वारा दुसरे के मन में पहुँच जाते है, जिससे मन स्वस्थ हो जाता है। आत्मा का आनंद प्राप्त होता है। पुरानी बैर की गाँठे भी खुल जाती है। ये सभी होने से चित्त में समाधि रहती है।
साध्वि हेमरेखा जी ने चित्त समाधि का अर्थ बताया तथा जप व मंगलभावना के प्रयोग कराए।
साध्वी ऋतुयशाजी ने दैनिक चर्या में काम आने वाले आसन बताये तथा मैत्री की अनुप्रेक्षा करवाई।
श्रीमती सरिता बैद ने चित्त समधिमय हो- गीत का संगान किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सोहनराज जी तातेड़ ने बताया कि प्रेक्षाध्यान के द्वारा हम जीवन में परिवर्तन ला सकते है। जीवन विज्ञान की शिक्षाओं से जीवन को खुशहाल बना सकते है। प्रेक्षाध्यान की पांच उपसम्पदाए है, उनको अपने जीवन में अपनाये तो जीवन का उतरार्य अपने आप आनंदमय बन जायेगा। कायोत्सर्ग का निरंतर प्रयोग करे जिससे चित्त समाधि बढ़ेगी।
अ.भा.ते.म.मं. की कार्यसमिति सदस्य कनक जी बैद व मंडल की संरक्षिका आशा सिंघवी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का कुशल संचालन मंडल अध्यक्षा चन्दा कोठारी ने किया तथा सहमंत्री कविता सुराना ने आभार ज्ञापित किया।

जोधपुर से JTN ज्योति नाहटा