संघ सम्राट महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की
सुशिष्या 'शासनश्री' साध्वी श्री सूरज कुमारी जी, सरदारशहर का जीवन परिचय:
जन्म- वि.सं.1986 आश्विन शुक्ला ७, सरदारशहर, राजस्थान
माता- श्रीमती धनी देवी नाहटा (साध्वी श्री धन्ना जी)
पिता- लक्ष्मी पत जी नाहटा
दीक्षा- युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी के कर कमलों से वि.सं. 1995 कार्तिक शुक्ला
३ सरदारशहर (माता धन्नी देवी के साथ)
अध्ययन- आचार्य श्री तुलसी के सानिध्य में 5 वर्ष गुरुकुलवास में अध्ययन । साध्वी
श्री केसर जी के सान्निध्य में18 वर्ष आगम आदि का अध्ययन ।
अग्रगामी- वि.सं. 2020 लाडनूं मर्यादा महोत्सव पर ।
पद यात्रा- राजस्थान, हरियाणा , पंजाब, गुजरात, भुज, कच्छ, थली, मेवाड़,
मारवाड़, उत्तर प्रदेश, बंगाल , बिहार आदि अनेक प्रान्तों में चातुर्मास व विचरण
किया। महाराष्ट्र मुंबई में सर्वाधिक 15 चातुर्मास किये।
कला- कला के क्षेत्र में विशेष रूचि जैसे लिपि कला, सूक्ष्म लिपि कला, डोरी ,
सांकली, रजोहरण, टोपसी , गिलास, तासक कलम बनाना । हरताल(एक विशेष
प्रकार का रंग) सिलाई, रंगाई आदि अनेक साध्वोचित एवं अन्य अनेक विभिन्न
कलाओं में निष्णात।
शासनश्री अलंकरण : महातपस्वी श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा प्रदत्त
विशेष- पूर्वजन्म की स्मृति
वर्तमान में आचार्य श्री तुलसी द्वारा दीक्षित सध्वियों में ज्येष्ठा।
दीक्षित परिजन- आपकी संसार पक्षीय बड़ी माँ ने सजोड़े दीक्षा ली थी।
वर्त्तमान में साध्वी श्री साधनाश्री जी आपकी संसार पक्षीया बहन तथा साध्वी सन्मतिश्री जी एवं समणी विनयप्रज्ञा जी संसार पक्षीय भतीजी हैं।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी व आचार्य श्री महाश्रमण जी के विशेष अनुग्रह से लगभग 12 वर्षों से मुम्बई में स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रवास ।
पिछले 11 दिनों से अन्न ग्रहण नही किया ।
15 दिसम्बर शाम लगभग 4:15 मिनिट पर स्वयं उच्च मनोबल से चौविहार संथारा का प्रत्याख्यान किया ।
लगभग शाम को 8:20 मिनिट को देवलोक गमन हुआ ।
शरीर में असह्य वेदना किन्तु अदभुत समता ।
साध्वी श्री साधना श्री जी 51 वर्षों से साथ में । साध्वी श्री विमल प्रभाजी 44 वर्षों से, साध्वी सन्मति श्री जी 32 वर्षों से, साध्वी श्री जागृतयशा जी 13 वर्षों से साथ में |
समणी रूचि प्रज्ञा जी एवं समणी विनय प्रज्ञा जी आज कांदिवली तेरापंथ भवन में बिराजित है |