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अहिंसा यात्रा पर विशेष : हिंसा से झुलसती मानवता को अहिंसा का चंदन

"हिंसा से झुलसती मानवता के घावों को शीतलता दे रहा अहिंसा का चंदन"

करुणानिधान अनुकम्पा पुरुष की अहिंसा यात्रा पर विशेष सम्पादकीय 



आज कल जैसे आतंकवाद एवं उग्रवाद ने प्रशासन की नींद हराम कर दी है, आये दिन दिल दहला देने वाली आतंकी घटनाओं से लोग भयभीत है, कहीं मासूम बच्चे तो कहीं निर्दोष लोगों को सरेआम मारा जा रहा है, कहीं बम ब्लास्ट तो कहीं गोलीबारी, सरहद पार आतंक तो देश के भीतर में पनप रहा उग्रवाद, विकास की बातों में, विकास के कार्यों में यह सब कहीं न कहीं घातक साबित हो रहा है ।


आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी फरमाते थे की कोरा भौतिक विकास आदमी को हिंसा, क्रोध की ओर प्रेरित करता है। भौतिक विकास के साथ-साथ उसे संतुलित करने के लिए आध्यात्मिक विकास होना भी जरूरी है ।

हिंसा को कभी हिंसा से पूर्णतया नहीं थामा जा सकता, आतंकी संगठन हो चाहे उग्रवादी संगठन, उनके साथ अहिंसक एवं शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत कर रोका जाये । भारत देश भी पड़ोसी देश के साथ शांति एवं अहिंसा के पक्ष में कई बार समझौते भी कर चुका है ।

आये दिन हिंसा, चोरी, आत्महत्या जैसी कई वारदातें अख़बारों की सुर्ख़ियों में अपना स्थान बटोरती हैं ।
इस भयानक माहोल में, आध्यात्मिकता एवं सदभावना का संदेश विश्व भर में देने के लिए तेरापंथ के ग्यारहवें आचार्य महाश्रमण जी ने अपनी अहिंसा यात्रा भारत देश की राजधानी दिल्ली से प्रारम्भ की ।

अहिंसा यात्रा के मूलभूत उद्देश्य हैं: • सदभावना का संप्रसार, • नैतिकता की चेतना का विकास, • नशामुक्ति

आचार्य प्रवर द्वारा प्रेरित अहिंसा यात्रा करीब 10 हजार किलोमीटर पैदल चलती हुई, भारत के कई राज्यों एवं नेपाल व भूटान की धरती को स्पर्श कर अहिंसा एवं भाईचारे की सदभावना को जन-जन तक पहुंचाएगी।
आज हिंसा के इस भयानक वातावरण में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ संघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी का यह कार्य वाकई महनीय है । आओं ! हम सब मिलकर शांतिदूत के इस शांतिमय, अहिंसामय एवं नशामुक्त विश्व की कल्पना को साकार करने के लिए हम भी प्रयास करे ।

- महावीर सेमलानी
मीडिया कार्यकारी संपादक 
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् 
दिनांक : 25-12-2014