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भारत कृषि प्रधान एवं ऋषि प्रधान देश : आचार्य महाश्रमण


ग्वालियर 24 दिसम्बर. संत शिरोमणि परम् पूज्य आचार्य महाश्रमण जी ग्वालियर प्रवास के दौरान अपने प्रातः कालीन प्रवचन में फ़रमाया कि आदमी के भीतर दो वृत्तियाँ होती है एक राग की वृति और दुसरी द्वेष की वृति। इन दोनों के कारण से आदमी दुःखी बनता है, राग द्वेष का विस्तार होता है तो उनके एक तत्व निकलता है अहंकार उसमे आदमी महान्ध बन जाता है, थोड़ा ज्ञान हो तो घमण्ड आ जाता है, थोड़ा पैसा मिल धनवान् हो गया तो घमण्ड आ जाता है, और सत्ता साथ में आ जाए तो कहना ही क्या। शास्त्र में कहा गया है की जीत तो अहंकार मंदिरा पान के समान है अहंकार में उन्नत हुआ आदमी हिंसा में अपराध् में भी चला जाता है, दृढ़ता के द्वारा इस अहंकार को जीत ने का प्रयास करो। जब अहंकार कम होता है तो आदमी में प्रेम आ जाता है , आचार्य श्री ने प्रेम के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा की जो इंसान के प्रति अहिंसा मैत्री ना रखे वह भगवान से भी कितना और किस रूप में प्रेम रखेगा, मेरा तो सोचना है की भगवन का नाम तो अच्छा ही है, से प्रेम करना, मैत्री करना उससे ज्यादा अच्छा है, मैत्री भाव का प्रयोग करे।
आगे आचार्य वर ने कहा भारत एक ऐसा देश है, जहाँ विभिन्न संप्रदाय है और यहाँ विभिन्न भाषाएँ चलती है और यहाँ विभिन्न जातियां है तो यह भारत की अनेकता में विभिन्नता, इस अनेकता में एकता, भारत की विशेषता है अनेकता होने पर भी जनता में परम्परा भाई-चारा, अहिंसा और मैत्री का भाव रहे - यह काम है हम गायों को देखे जो भिन्न-भिन्न रंगों की हो सकती है पर आमतौर पर दूध सभी गायों का सफ़ेद ही रंग का ही होता है। इसी तरह आदमी भी कोई काला होता है कोई गोरा वर्ग का होता है पर शरीर में खून सबके लाल रंग का ही होता है इसी प्रकार भिन्न-भिन्न सम्प्रदाय है पर मोटा-मोटी रूप में मैत्री और अहिंसा एक ऐसा तत्व है जिसका उपदेश कोन धर्म नही देता, तो यह तो यह अहिंसा ऐसा तत्व है जिसके आधार पर धर्मो में समानता का दर्शन भी किया जाता है। आचार्य श्री ने सर्व प्रथम समेलन में आये हुये धर्म गुरुओं का संबोधित करते हुए फरमाया की हम अपने- अपने अनुयायीयओं को अहिंसा की बात सिख दे। नैतिकता की बात सीखा दे और नशामुक्ति की बात सिखा दे, यूं हर धर्म के संत लोग या धर्म का नेतृत्व करने वाले लोग अपने-अपने अनुयायी को भी संभाल ले भारत अच्छा देश है और भी अच्छा देश बन सकता है। आचार्य श्री ने कहा की भारत के पास संतो की सम्पदा है, भारत केवल कृषि प्रदान देश ही नही यह ऋषि प्रदान देश भी है। कितने-कितने ऋषि महर्षि अत्तित में हुये है और कितने संत भारत ने आज भी विराजमान है, जो भारत में शोभा बड़ा रहे है। आचार्य श्री ने आगे कहा आध्यात्मिक, भौतिक, नेतिक, शैक्षिक ये सारे विकास है, आवश्यक है इनका विकास हो। नशे और गुस्से से बचे, दूसरों का हित करे और करुणा एवं मैत्री का भाव हम सब में रहना चाहिए। 
मीडिया प्रभारी संजीव पारीख, प्रचार-प्रसार प्रवक्ता अभिनंदन छाजेड एवं राहुल छाजेड की पूर्व मंत्री मध्यप्रदेश शासन श्री भगवान् सिंह यादव, पूर्व विधायक श्री रमेश अग्रवाल, श्री दर्शन जिला अध्यक्ष कांग्रेस श्री आनंद शर्मा वार्ड नं. 48, श्री अजित शर्मा एडवोकेट अध्यक्ष नवयुवक सामाजिक सेवा संस्थान आदि ने अपने विचार पूज्य प्रवर के सामने रखे। संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया।