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सेवा की भावना हो प्रबल : आचार्य महाश्रमण

ग्वालियर। 22 दिसं। आचार्य श्री महाश्रमणजी ने जैन छात्रावास के वर्धमान समवसरण में उपस्थित श्रावक समाज को सेवा का महत्व बताते हुए फरमाया कि गृहस्थ माता-पिता की सेवा करे। समाज की सेवा करे। सेवा करने से जीवन में यश की प्राप्ति होती है। उन्होंने राजनेताओं को भी जनता की सेवा के उनके धर्म का पालन करने की प्रेरणा दी। 

साधू भी ध्यान में रखे कि उनका जीवन धर्म और धर्मसंघ से जुड़ा रहे। धर्मसंघ के साधुओं में सेवा करने की भावना विद्यमान रहनी चाहिए। वे दूर-दूर जाकर भी सेवा करने के लिए तैयार रहे। केवल सहभागी साधू साध्वी ही नहीं अपितु अग्रणी भी सेवा करे। 

आज जैन धर्म की दो परम्पराओं श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा का मिलन भी हुआ। श्वेताम्बर तेरापंथ के आचार्य श्री महाश्रमण एवं दिगम्बर आचार्य विमर्श सागर का मिलन हुआ। दोनों ने काफी विषयों पर विचारों का आदान प्रदान किया। 

इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह, भान्दौर विधायक श्री घनश्याम पिरौनिया, महापौर श्री विवेक शेजवलकर, डॉ. वीरेंद्र गंगवाल आदि महानुभाव भी उपस्थित थे। महिला मण्डल द्वारा महिला सम्मेलन एवं कन्या सुरक्षा पर चित्रकला स्पर्धा का आयोजन हुआ जिसमे करीब 50 प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया।