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"विद्यार्थी में ज्ञान के साथ अछे संस्कारों का हो सृजन" -आचार्य महाश्रमण


6 फरवरी 2015. खागा, फ़तेहपुर.
परमश्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आज रानी चंद्रप्रभा महाविद्यालय में उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों व अन्य श्रोतागणों को संबोधित करते हुए फ़रमाया कि आदमी को सम्यक ज्ञान और सम्यक आचार का पालन करना चाहिए। अनेकों विद्यार्थी विद्यालय में पढ़ते हैं। ज्ञान प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी विद्या संस्थानों में जाते हैं। ज्ञान के सामान कोई पवित्र वास्तु दुनिया में नहीं। ज्ञान के आभाव में आदमी मूर्ख रह जाता है। अज्ञान के अन्धकार को मिटने के लिए ज्ञान रुपी दीप प्रज्वलित करना आवश्यक है। विद्यार्थी में ज्ञान के साथ अच्छे संस्कारों के सृजन होना चाहिए। विद्यार्थियों में अछे संस्कार आयें तो उनका जीवन अच्छा बन सकता है। विद्यार्थी पीढ़ी सुसंस्कारी व् शिक्षित होने पे देश का भविष्य उज्जवल हो जाता है।
पूज्यप्रवर ने फ़रमाया कि विद्यार्थियों का खूब अध्यात्मिक विकास होता रहे। शिक्षक शिक्षार्थियों को शिक्षा व अच्छे संस्कार देते रहें। तथा अहिंसा यात्रा के 3 उद्देश्यों सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की जानकारी दी। महाविद्यालय के मालिक उदयप्रताप सिंह व इनक भाई पूर्व विधायक के.के सिंह समेत सभी लोगों ने हह संकल्पों को स्वीकार किया।
साध्वी चरित्रयशा जी ने सुम्धुर्गीत का संगान किया । महाविद्यालय के प्राचार्य विवेक शुक्ल ने महाविद्यालय की तरद से पॊज्यपेअवर का स्वागत करते हुए अपने विचार प्रकट किये। तथा अपना सौभाग्य सराहा। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।


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