रामपुर-थरियावं. ०५ फरवरी. महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी ने थरियांव गाँव के वीरांगना अवंतीबाई लोधी विद्यापीठ के प्रांगण में उपस्थित सैंकड़ों विद्यार्थियों को मंगल प्रेरणादायी पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि- यह जीवन एक प्रकार का महल है. इस महल को घास-फूस, गंदगी से भरकर गँवा भी सकते है और ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित और सदाचार की सौरभ से सुरभित भी कर सकते है. जीवन में अहिंसा, संयम, इमानदारी का सदाचार आएं. विद्यार्थी जीवन ज्ञानार्जन का समय है. इस समय विवेकपूर्ण पुरुषार्थ से ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास होना चाहिए. पुरुषार्थ एसा बंधु-मित्र है जो हमें सफलता और सुख दिलाता है. विद्यार्थियों के जीवन में पुरुषार्थ, अहिंसा, नशामुक्ति, संयम जैसे संस्कार आएं यह अपेक्षित है.
विद्यार्थी शिक्षक, अभिभावक, संत एवं मीडिया के चतुष्कोण के संपर्क में रहता है. इन सभी के माध्यम से विद्यार्थी को अच्छे संस्कार मिले. चतुष्कोणीय संस्कारों की वर्षा से विद्यार्थी भीगा रहे तो उसकी चेतना संस्कार युक्त हो जाती है. पूज्यवर ने विद्यार्थियों को अहिंसा यात्रा के त्रिआयामी उद्देश्यों नैतिकता, सदभावना एवं नशामुक्ति के बारे में बताया. विद्यार्थियों ने पूज्यप्रवर की प्रेरणा से संकल्प ग्रहण किए.
आज पूज्यवर ने थरियावं में प्रवचन आदि के पश्चात दोपहर करीब २:१५ बजे आधारपुर के लिए विहार किया. पूज्यवर के दर्शनार्थ पूर्व विधायक श्री के.के. सिंह पहुंचे. पूज्यवर के दर्शन कर उन्होंने ध्वज हाथ में लेकर रस्ते की सेवा की.
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