
09-03-2015, कासिमाबाद, गाजीपुर। आज परमपूज्य प्रवर अपनी धवल सेना के साथ एक दिवसीय प्रवास हेतु कासिमाबाद के प्रभु नारायण सिंह महाविद्यालय के परिसर में पदार्पण हुआ।जहाँ पर उनका महाविद्यालय के स्टाफ और पि० एन ० एस ० स्कूल के बच्चों द्वारा स्वागत किया गया।
वहां समुपस्थित विद्यार्थियों एवं जनसमूह को संबोधित करते हुए पूज्यप्रवर नेफरमाया - "व्यक्ति को अपनी स्वयं की शक्ति, प्राणवत्ता, सेहत, श्रद्धा की जांच कर कार्य विशेष में नियोजित हो जाना चाहिए। काल और क्षेत्र का विवेचन भी जरुरी होता है। व्यक्ति को चादर के अनुसार अपने पाँव फैलाने चाहिए। अपनी शक्ति का विकास करने का प्रयास जारी रखना चाहिए। जिसमे जितना तेज होता है, वह उतना शक्तिशाली होता है। हाथी कितना विशालकाय प्राणी है किन्तु एक छोटा सा अंकुश उसे काबू कर लेता है। एक छोटा सा दीपक, विशाल अंधकार को मिटा देता है। और छोटा सा वज्र बड़े-बड़े पहाड़ को खोद देता है। अतः तेजस्विता का महत्व ज्यादा है। व्यक्ति को क्षेत्र और काल को समझकर अपनी शक्ति को विवेकपूर्ण नियोजित करना चाहिए | विवेक आदमी की तीसरी आँख होती है| बाहर की दो आँखो के साथ-साथ, अन्दर की विवेक की आँख भी होनी चाहिए| "

स्कुल के बच्चों को सम्बोदन प्रदान करते हुए पूज्यप्रवर ने फरमाया कि शिक्षा के साथ, बच्चो में चरित्र निर्माण और संस्कार निर्माण का भी कार्य आवश्यक है| सदभावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रतिज्ञा द्वारा बच्चों का भविष्य, सही दिशा की और गतिमान रह सकता है| सभी विद्यार्थियों ने अहिंसा यात्रा के तीनो संकल्पों (सदभावना, नैतिकता और नशामुक्त रहना) को स्वीकार किया।
स्कूल के प्रिंसीपल महोदय ने गुरूदेव का अभिनन्दन करते हुए कहा कि "आज हमारा भाग्योदय का दिन है, जो इतने महान संत का यहां पधारना हुआ है।"
साध्वी चारित्र यशा जी ने गीत का संगान किया ( समता सरिता मे स्नान करें, जीवन उपवन बन जाऐगा)। महासभा के उपाध्यक्ष श्री अनूप बोथरा ने, साध्वी प्रमिलायशा द्वारा रचित गीत ( भिक्षू को नमन हमारा) का सुन्दर संगान किया।
0 Comments
Leave your valuable comments about this here :