साध्वी श्री कुन्थुश्री जी के कहा की "धम्मो शुद्धस्स् चिठ्ठई" अर्थात धर्म शुद्ध आत्मा में ठहरता हँ,सरलता में निवास करता हँ ! उसके लिए हृदय पवित्र होना चाहिए।प्रकृति के अंचल में अवस्थित यह बगीचा डा.विश्वेस्वरया के दिमाग की उपज हँ।यह बगीचा हमें प्रकृति में जीना सिखाता हँ, जिसका जीवन सरल होता हँ वह स्वभाव में रमण करता हँ।"सहजे-सहजे सहजानन्द, अंतरद्रष्टी परमानन्द" अर्थात सहजता से परम आनंद की अनुभूति होती हँ।आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी नेपाल यात्रा में सदाचार, नैतिकता, नशामुक्ति जीवन जीने की प्रेरणा देते हँ।मानव कृत्रिमता से हटकर सदाचारी बने ! प्रकृति, सस्कृति, सुसंस्कार सही सोच की दिशा में प्रस्थान करे। बाहर के सौंदर्य से प्रेरित हो कर अपने भीतर के सौंदर्य को निखारे।साध्वी श्री हैदराबाद की और विहार कर रही हँ।आज मैसूर के हेबाल इंडस्ट्रियल एरिया स्थित लीलावती आश्रम से विहार करके K.R.S के पोलिस गेस्ट हाउस में पधारे।मठ के चिनानंद स्वामीजी ने साध्वी श्री जी से विहार के बारे में जानकारी ली और कहा की मठ द्वारा गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा ओर छात्रावास हँ जिसमे करीब 650 बच्चे अध्यनरत हँ।रास्ते की सेवा में तेयुप अध्यक्ष सुरेशदेरासरिया,सभा उपाध्यक्ष राजेशआच्छा,तेयुप उपाध्यक्ष दिलीप पितलिया,मंत्री दिनेशदक, विनोदबुरड़, प्रकाशदक, भीकममांडोत,प्रकाशमारु आदि सदस्य उपस्थित थे।साध्वी श्री का आगे का विहार चिनकुरलि, के.आर पेट होकर चनरायपटना पधारेंगे।
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