शांतिदूत, महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वीश्री काव्यलता जी के सानिध्य में तथा तेरापंथ महिला मंडल, मैसूर के तत्वाधान में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की छट्टी पुण्यतिथि का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्रीजी ने अपने मंगल उदबोधन् में फ़रमाया- तेरापंथ धर्मसंघ के दसवे अधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी अध्यात्म जगत के महासूर्य थे। राजस्थान के छोटे स3 कस्बे टमकोर में जन्मा वह अबोध बालक हम सबके लिए प्रेरणा पुरुष बन गया। प्रज्ञा, विनय, समर्पण की त्रिवेणी आचार्यश्री महाप्रज्ञजी एक अनुपम महानयोगी थे। प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान जैसे महान अवदान देकर आपने पूरी मानव जाति का कल्याण किया। अहिंसा यात्रा के माध्यम से आपने जन-जन में अहिंसा व नैतिकता का शंखनाद किया। अपने गुरु आचार्यश्री तुलसी के प्रति आपके अदभुद समर्पण व विनम्रता ने आपको नथमल से महाप्रज्ञ बना दिया। आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे उत्तराधिकारी को पाकर आप निश्चिन्त बन गए। हम सभी सोभाग्यशाली है कि हमें तीन-तीन महापुरुषो को देखने का व उनके सानिध्य में साधना करने का अवसर मिला। इस अवसर पर आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के प्रति अनंत अनंत श्रद्धा से नमन करती हु।
इस अवसर पर साध्वी ज्योतियशाजी, सुरभिप्रभाजी व वैभवयशाजी ने भावपूर्ण गीतिका के माध्यम से अपनी श्रद्धा अर्पित की। मुख्य अतिथि के रूप में समागत श्रीमती डॉ. पद्मा शेखर जो मैसूर यूनिवर्सिटी में कार्यरत है, अपने विचारो की अभिव्यक्ति देते हुए कहा आचार्य महाप्रज्ञजी एक महान संत थे। जिन्होंने प्रेक्षाध्यान जैसी साधना पद्दति दी। साहित्य रचना कर अनमोल रत्न हमें प्रदान किये। आप एक प्रखंड विद्वान थे।
मैसूर महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती सन्तोष कोठारी ने समागत अतिथियों का स्वागत किया व अपने विचार रखे, सभा के अध्यक्ष श्रीमान शांतिलालजी कटारिया के अपनी श्रद्धा अर्पित की। श्रीमती इंद्रा कोठारी व महिला मंडल की बहिनो ने गीतिका के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त की। मंत्री अनीता कटारिया ने आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वीश्री ज्योतियशाजी ने किया।
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