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आत्मा की ओर जाने पर शांति का अनुभव : आचार्य श्री महाश्रमण

हेटौडा, नेपाल । 7 अप्रैल। JTN । आज प्रात:कालीन प्रवचन में पूज्यप्रवर ने फरमाया कि- आदमी में राग द्वेष के भाव क्षीण हो जाएं।  व्यक्ति की आत्मा से लौं लग जाएं। बाहरी पदार्थों से व्यक्ति को शांति नहीं मिल सकती आत्मा की ओर जाने पर शांति का अनुभव होता है।

पूज्य प्रवर ने साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी एवं मुख्य नियोजिका साध्वीश्री विश्रुतविभाजी के संदर्भ में फरमाया कि- 'साध्वीप्रमुखाजी कुछ कालमान के लिए हमें विदाई दे रहे है । यह वीरगंज विहार करेंगे और हम उर्ध्व गति करेंगे । साध्वीप्रमुखाजी कुछ लंबे समय बाद बर्दीवास में मिलेंगे । मुख्य नियोजिका विश्रुतविभा जी व साध्वियां हमारे साथ नहीं हो कर एक हॉल्ट पीछे तक रुक सकेगी। 
संघ महानिदेशिका साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने कहा कि आचार्य महाश्रमण जी महान योगी हैे इस लिए जनता का इन के प्रति श्रद्धा का भाव है । एसे योगी ही गुरु बन कर कल्याण कर सकते हैे । साध्वीप्रमुखाजी ने कहा कि हमारा मन तो गुरुदेव के चरणो में है। हमेँ अभी वीरगंज जाना है। गुरुदेव के साथ हमे कुछ सोचना नहीं पडता। अब हमें भी कुछ चिंता रखनी होगी। हमें गुरुदेव का आधार है, पर आपके आशीर्वाद से आपकी भिन्न दिशा में भी हमे कोई दिक्कत नहीं होगी । आप अपने पावन चरण से हिमालय को स्पर्श करें, आपके स्पर्श से कण कण  पावन बन जाए। यह अभूतपूर्व यात्रा हैे। इस यात्रा के प्रत्येक पल नए नए इतिहास का सृजन करें। आपके चरण  जहाँ टिके, वहाँ इतिहास के स्वस्तिक स्वयं ही उकीर्ण हो जाएं। गुरुदेव को जो आज तक संघीय दृष्टि से आध्यात्मिक दृष्टि  से नहीं मिला है, वह सब मिले । जो अर्पित है और मिला हुआ है वह सुरक्षित रहें । 
मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी ने कहा कि आज तक हमें गुरुदेव की सन्निधि मिली है, महाश्रमणीजी की सन्निधि मिली है।  इस बार हमारे लिए समय कुछ नया सा होगा। साध्वीप्रमुखा जी के प्रति श्रद्धा भाव अर्पित करते हुए उन्होंने कहा-महाश्रमणीजी ! आप जैसे भक्ति भाव हमारे में भी आएं।। आपने 3-3आचार्योँ की सेवा की है। हम भी आपके पद चिह्नों का अनुगमन करते रहे। साध्वी प्रमुखाजी के साथ जाने वाली साध्वियों ने 'पधारो महाश्रमण गुरुराज..' गीत का भावपुर्ण संगान किया। 
पूज्यप्रवर के स्वागत मेँ अहिंसावादी संगठन की ओर से नारायण शर्मा व उद्योगपति अरुण सुमार्गी ने अपने भावो की अभिव्यक्ति दी । मुनि राजकुमार जी ने 'मिनखा थेे जागो रे अब सोया नहीँ सरैला..' गीत का संगान किया।
संवाद: राजू हीरावत, प्रस्तुति: अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़

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