तपस्या महान धर्म है, इसीलिए इसे मुक्ति महल का पथ बताया गया है – साध्वी कनकश्री 'राजगढ़'
गंगाशहर, तेरापंथी सभा द्वारा आज सोमवार को प्रातः कालीन व्याख्यान के अंतर्गत शांतिनिकेतन सेवाकेंद्र में साध्वीश्री कनकश्री जी एवं साध्वीश्री जिनबालाजी के सान्निध्य में पिछले पुरे एक वर्ष से एकान्तर तप करने वाले भाई बहिनों के पारिवारिक जनों द्वारा अभिनन्दन का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर बोलते हुए साध्वीश्री कनकश्री जी ने बतलाया कि संसार के हर धर्म में तप की महता बतलाई गयी है और जैन धर्म में इसे प्रमुख स्थान दिया गया है. तपस्या की आराधना से पूर्व संचित कर्मों का नाश होता है और व्यक्ति हल्का बनता है. उन्होंने फ़रमाया कि ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप ये संसार सागर से पार करवाने वाले तत्व है. इनकी सम्यक आराधना व्यक्ति को उज्जवल तम बनाती है.
इस अवसर पर साध्वीश्री जिनबालाजी ने फ़रमाया कि मजबूत मनोबल वाला व्यक्ति ही तप के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है. बिरले और हिम्मतवर इंसान ही तपस्या का स्वाद चखते है, भूखा रहना सरल बात नहीं है. और उसमे भी जब बात एक दिन खाना और अगले पुरे दिन भूखा रहना वो भी पुरे वर्ष पर्यंत. बड़ा कठिन कार्य है.
साध्वीश्री निर्मलयशाजी ने फ़रमाया कि इस बार यहाँ गंगाशहर में जिन जिन भी श्रावक और श्राविकाओं ने वर्षीतप किया है वे सभी साधुवाद के पात्र है, उन सभी ने महान कार्य किया है. हम खुले दिल से उनके इस तप के प्रति अनुमोदना करते है. वे इसी तरह तप के मार्ग पर आगे बढते रहे. तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित आज के इस कार्यक्रम में एकान्तर तप करने वाले कुल ११ ग्यारह जनों के पारिवारिक जनों ने तप अभिनन्दन के भाव प्रस्तुत किये . तेरापंथी सभा के मंत्री किशन बैद ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे.
इस बार यहाँ गंगाशहर में ९ (नौ) श्राविकाएं एवं २ (दो) श्रावक वर्षीतप यहाँ पर कर रहे है. कल मंगलवार 21.04.2015 को आखातीज के उपलक्ष में तेरापंथ समाज गंगाशहर की सभी सभा संस्थाओं द्वारा प्रातः ९ बजे से शांति निकेतन में इन सभी ११ जनों के तप अभिनन्दन और बाद में इन सभी के पारणे की व्यवस्था भी की गयी है.
धर्मेन्द्र डाकलिया
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