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अनासक्त बनो - आचार्य श्री महाश्रमण जी

While Non Violence March, (Ahimsa Yatra) Giving the message of Peace at the Capital of  Nepal Kathmandu, His Holiness Acharya Shri Mahashraman ji.

6 मई 2015, काठमांडू, नेपाल, Jain Terapanth News.

परमपूज्य महातपस्वी आचार्य प्रवर ने अनासक्ति का संदेश देते हुए फ़रमाया कि जीवन सापेक्ष है। जीवन एक-दूसरे सहयोग से चलता है। व्यक्ति को जीवन में पदार्थ भी चाहिए। पर वह पदार्थों के प्रति आसक्ति ना करे। अनासक्त भाव से जीवन यापन करने का प्रयास करे। 
मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा जी ने कहा कि व्यक्ति अनेक प्रकार की प्रवृतियाँ कहता है, अनेक प्रकार का चिंतन करता है परन्तु उसका चिंतन, प्रवृति सकारात्मक होनी चाहिए।

आज से पुज्यप्रवर ने रात्रिकालीन कार्यक्रम में प्रवचन व प्रेक्षाध्यान प्रयोग प्रारम्भ करने की घोषणा की।

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