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प्रतिकूल परिस्थितियों में अडिग रहते हैं महापुरुष

After Nepal Earthquake, H.H. Aacharya shri Mahashraman ji with monks and nuns of Jain Terapanth Religion, at Kathmandu, Nepal
जन जन के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध, विश्व में अहिंसा, शांति एवं नशामुक्ति जैसे समाज कल्याण के कार्य के लिए कटिबद्ध महातपस्वी आचार्य महाश्रमण जी द्वारा 9 नवंबर 2014 को भारत की राजधानी दिल्ली से अहिंसा यात्रा का शुभारम्भ हुआ । लंबी पैदल यात्रा द्वारा भारत के कई राज्यों में पाथेय प्रदान करते हुए एक महापुरुष का 31मार्च 2015 को नेपाल की धरा पर प्रवेश हुआ । जो तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में सर्वप्रथम बार था ।

नव इतिहास के सृजन के लिए सदन्तर गतिमान ज्योतिचरण ने हिमालय की दुर्गम घाटी के लांघते हुए, अक्षय तृतीय के पावन प्रसंग हेतु 21 अप्रैल 2015 को नेपाल की राजधानी काठमांडू में प्रवेश हुआ। कुछ दिन ही बीते थे की मानो प्रकृति का विकराल स्वरूप देखने को मिला, भयंकर भूकंप के विनाशक झटके ने नेपाल सहित भारत के कई राज्यों को हिला दिया । इस भयंकर परिस्थिति में भी ससंघ आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं सभी साधू संत पूज्य गुरुदेव की छात्र छाया में सुरक्षित रहे। मानो ज्यों धर्म का वलय सतत रक्षक बने खड़ा था। जिसे भेद पाना आसान नहीं था। यह चमत्कार ही था।

बात तब की है जब पूज्य आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने अहिंसा यात्रा की शुरुआत की थी 2001 में तब गुजरात में अशांति व् भय का वातावरण फैला हुआ था तब महान योगी पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ जी ने शांति का सन्देश दिया था और मानवता की ज्योत को प्रज्वलित किया था। नियति का योग देखो! आज शांति दूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अहिंसा यात्रा और तेरापंथ सेना नेपाल वासिओं को इस भयंकर त्रासदी में सेवा एवं सद्भावना का कार्य कर रही ।

नियति का योग ही होता है - महापुरुषों के मार्ग में कठिनाइयां आती हैं और वे उन्हें परास्त कर विजयी होते हैं। आपके आभावालय का ही प्रताप है कि आपश्री के चरणों में सभी सही सलामत हैं! तेरापंथ धर्म संघ द्वारा किये जा रहे राहत कार्य ने मानवता की अनोखी मिशाल पेश की है। मेरे परम पूज्य महाश्रमण भगवान के श्रीचरणों में सभक्ति कोटिशः वंदना ।

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2 Comments

  1. ॐ अर्हम
    वंदे गुरुवरम

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  2. ॐ अर्हम
    वंदे गुरुवरम

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