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शुद्ध भावों से की गयी क्रिया का परिणाम शुभ : आचार्य श्री महाश्रमण


11 मई । काठमांडू । पूज्यवर ने आज प्रवचन देते हुए फरमाया कि- जीवन में भावना एवं मन की पवित्रता का बड़ा मूल्य है । जैसी क्रिया होती है वैसा फल मिलता है । भावना, क्रिया और परिणाम की एक श्रृंखला  है ।  कार्य का परिणाम प्राय: भावना पर आधारित रहता है । शुद्ध भावना से किया गया कार्य शुभ परिणाम देने वाला होता है ।
पूज्यप्रवर ने आगे फ़रमाया कि- आत्मोत्थान के सन्दर्भ में श्रावक का स्थान राजा से भी ऊपर हो सकता है । राजा मिथ्यात्वी हो सकता है । व्यवहारिक जगत में शासन में राजा का स्थान ऊंचा हो सकता है किन्तु आध्यात्मिक जगत में श्रावक का स्थान राजा से ऊंचा होता है । 
 आज प्रात: पूज्यप्रवर नेपाल के राष्ट्रपति भवन पधारे मुनि श्री आलोककुमारजी ने पूज्यवर की दृष्टि प्राप्त कर पूज्यप्रवर की राष्ट्रपति भवन यात्रा का  विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि नेपाल के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामवरण यादव ने राष्ट्रपति भवन पहुँचने पर पूज्यप्रवर की अभिवन्दना की। राष्ट्रपति महोदय ने जिज्ञासा की कि क्या पूज्यप्रवर भूकम्प के समय नेपाल में विराजित थे। जिस पर पूज्यप्रवर ने फरमाया कि- हाँ हम उस समय यही थे ।  दोनों के बीच विभिन्न विषयों पर वार्ता हुई लेकिन नेपाल की भूकम्प त्रासदी केंद्र रही । राष्ट्रपति ने मानव द्वारा किए जा रहे पर्यावरण को दूषित किए जाने पर चिंता जतायी। राष्ट्रपति ने वर्तमान शिक्षा पद्धति की कमियों के बारे में भी अपनी बात रखी। राष्ट्रपति महोदय ने स्वयं एक डॉक्टर होने के नाते गुरुदेव को पैरों के सम्बन्ध में कुछ सलाह भी दी । इसप्रकार राष्ट्रपति महोदय पूज्यप्रवर के साथ भेंट के समय पर्यावरण प्रेमी, शिक्षाविद्, चिकित्सक आदि भूमिकाओं में नजर आएं । 

पूज्यप्रवर द्वारा लिखित पुस्तक "आओं जीना सीखें" के नेपाली संस्करण "आउनुहोस हामी बाच्न सिकौ" का विमोचन महामहिम राष्ट्रपतिजी ने किया । उन्होंने पुस्तक की एक अतिरिक्त प्रति के लिए इच्छा जताई । 

कन्या मंडल द्वारा गीतिका संगान किया। कोयल व् कुलदीप बोहरा द्वारा  गीतिका प्रस्तुत की गयी ।
रिपोर्ट- राजू हीरावत, प्रस्तुति-संजय वैदमेहता 


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